CG Ka Itihas Objective Question Answer छत्तीसगढ़ का इतिहास जीके

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  • प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ दक्षिण कौशल क्षेत्र में आता था।
  • ऋग्वेद में छत्तीसगढ़ का वर्णन नहीं है।
  • ए.ई. नेल्सन के अनुसार छत्तीसगढ़ का नामकरण यहां स्थित किलों के आधार पर पड़ा।
  • छत्तीसगढ़ की वर्तमान सीमा का निर्धारण सर्वप्रथम 1905 में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ शब्द का सर्वप्रथम उपयोग साहित्य में दलपत राम साव ने किया था।
  • सरकारी दस्तावेज में ‘छत्तीसगढ़’ शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम 1795 केरायपुर गजेटियर में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक समय तक शासन कलचुरि राजवंश ने किया था।
  • कलचुरीवंश की कुलदेवी गजलक्ष्मी थी।
  • रतनपुर के कलचुरी और मराठों की प्राचीन राजधानी का गौरव प्राप्त है।
  • कलचुरि राजा मूलतः त्रिपुरी के थे।
  • सर्वाधिक प्रतापी कलचुरि नरेश जाजल्लदेव प्रथम थे।
  • कलचुरी राजवंश के ताम्रलेख का आरंभ हमेशा ‘ओम नम: शिवाय’ से होता है।
  • प्राचीन छत्तीसगढ़ में शरभपुरीय शासकों की राजधानी श्रीपुर थी।
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग छत्तीसगढ़ में पाण्डु राजवंश के समय आया था ।
  • तीतरदेव छत्तीसगढ़ के पाण्डु वंश से संबंधित हैं।
  • छिंदक नागवंश की राजसत्ता बस्तर में थी।
  • छिंदक नागवंश का प्रथम शासक नृपति भूषण था।
  • छत्तीसगढ़ का स्वर्ण-सत्र महाशिव गुप्त बालार्जुन के शासनकाल को माना जाता हैं।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक प्राचीन ताम्रलेख महाशिवगुप्त बालार्जुन के प्राप्त हुए हैं ।
  • जनश्रुति के अनुसार श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर शिवरीनारायण में खाये थे ।
  • जनश्रुति के अनुसार कौशल्या माता के पिता राजा भानुमन्त छ.ग. क्षेत्र के प्रतापी नरेश थे।
  • जनश्रुति के अनुसार दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) का राजा रामपुत्र कुश को बनाया गया था।
  • प्रागैतिहासिक से लेकर ऐतिहासिक काल तक के चित्रित शैलाश्रय सिंघनपुर (रायगढ़) में है।
  • रायगढ़ के कबरा पहाड़ से पाषाण युग के औजार प्राप्त हुए है।
  • तालागांव की काल पुरुष प्रतिमा का निर्माण कलचुरी राजवंश ने करवाया था।
  • महारानी वासटा द्वारा स्थापित सिरपुर के विष्णु मंदिर एवं लक्ष्मण मंदिर की प्रशस्ति रचना कवि ईशान ने की थी।
  • कवर्धा का प्रसिद्ध राजवंश फणीनागवंश था।
  • भोरमदेव मंदिर फणिनाग बंश के समय निर्मित किया गया था ।
  • बड़ेडोंगर चालुक्यवंश की प्राचीनतम राजधानी का गौरव प्राप्त है।
  • बस्तर क्षेत्र में नलवंशी शासकों का राज्य स्थित था ।

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  • सातवाहन नरेशों का काष्ठ स्तंभ लेख बिलासपुर जिले के किरारी स्थान से प्राप्त हुआ है।
  • सातवाहन राजा अपिलक की मुद्रा रायगढ़ जिले के बालपुर से प्राप्त हुई है।
  • राजा तुष्टिकर छत्तीसगढ़ के पर्वतद्वारक वंश से संबंधित हैं।
  • बिलाईगढ़ ताम्रपात्र कलचुरि वंश की जानकारी देता है।
  • छत्तीसगढ़ के रतनपुर की तुलना कुबेर नगर से की जाती थी।
  • गुण्डमहादेवी’ का शिलालेख छिंदकनाग राजवंश का प्रमुख शिलालेख हैं।
  • कांकेर के सोमवंश का संस्थापक सिंहराज था।
  • सोमवंशीय शासकों को पराजित कर बाणवंश ने शासन स्थापित किया था।
  • छत्तीसगढ़ में सोमवंशीय शासन 10-12 वीं सदी तक था।
  • सोमवंश के आदि पुरुष का नाम शिवगुप्त था।
  • बाबू रेवाराम (रतनपुर राज्य के राजकवि) छत्तीसगढ के प्रथम इतिहासकार माने गये है।
  • रायपुर नगर की स्थापना राजा रामचन्द्र ने की।
  • विश्व की प्राचीनतम नाट्य शाला को सीताबेंगरा गुफा के नाम से जाना जाता है।
  • माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण डोंगरगढ़ के नरेश राजा वीरसेन ने करवाया था।
  • बस्तर स्थित चक्रकोट छिन्दक नागवंश की राजधानी है।
  • काकतीय नरेश पुरुषोत्तमदेव के समय बस्तर में रथयात्रा प्रारंभ हुई।
  • बस्तर की यह रथयात्रा गोंचा पर्व के नाम से प्रसिद्ध है।
  • प्रसिद्ध राजकुमारी चमेलीदेवी नागवंश से संबंधित थी।
  • प्रसिद्ध राजकुमारी चमेलीदेवी का संघर्ष काकतीय नरेश अन्नमदेव से हुआ था।
  • कुलेश्वर महादेव मंदिर छिन्दक नागवंशी शासकों द्वारा निर्मित है।
  • सोनाखान कलचुरि वंश की जमींदारी थी।
  • कलचुरी राज्य के प्रसिद्ध सेनापति जगपालदेव थे।
  • बाबू रेवाराम की पाण्डुलिपि में राजा कल्याणसाय का उल्लेख है।
  • अमरसिंह देव छत्तीसगढ़ में कलचुरिवंश के अन्तिम नेरेश थे।
  • बस्तर के छिंदकनागवंशीय नरेश को कलचुरि राजा जाजल्लदेव प्रथम ने पराजित किया था।
  • कलचुरी शासन में स्थानीय कार्य के संचालन हेतु नगरों और गाँवों में पंचकुल संस्था होती थी।
  • कलचुरियों की प्रशासनिक व्यवस्था में अमात्यमण्डल में कुल 8 मंत्री सम्मिलित थे।
  • कलचुरियों की प्रशासनिक व्यवस्था में राजस्व प्रबंधक मंत्री महाप्रभातृ था।
  • कलचुरी कालीन शासन व्यवस्था में मंडी में सब्जी बेचने के लिए युगा परमिट लेना पड़ता था।
  • कलचुरी काल में राजस्व विभाग का मुख्य अधिकारी महाप्रमातृ होता था।
  • कलचुरी काल में विदेश विभाग का मुख्य अधिकारी महासंधिविग्रहक होता था।
  • कलचुरी कालीन शासन व्यवस्था में कर वसूल करने वाले को शोल्किक कहते थे।
  • कलचुरी कालीन शासन व्यवस्था में एक गढ़ लगभग 84 ग्रामों का होता था।
  • कलचुरी काल में यातायात विभाग का मुख्य अधिकारी गमागमिक होता था।
  • कलचुरी कालीन शासन व्यवस्था में हस्तिसेना का प्रमुख महापीलुपति होता था।
  • कलचुरीवंश का कल्याणसाय मुगल शासक जहाँगीर से मिलने दिल्ली गया था।
  • रोम राज्य की मुद्रा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में चकरबेड़ा से प्राप्त हुई है।
  • दुर्ग जिले के चितवा डोंगरी शैलचित्र की खोज मनोहर लाल यदु व साथी ने की थी।
  • कलचुरी बंश के बाद मराठों ने छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाली।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में मराठा आक्रमण सन् 1741 से प्रारम्भ हुआ।
  • छत्तीसगढ़ में मराठों ने अपना प्रथम शासक बिम्बाजी भोंसला को बनाया धा।
  • भोंसला शासन में छ.ग. के लिए नियुक्त प्रथम जिलेदार कृष्णा राव अप्पा थे।
  • सूबा शासन प्रणाली छत्तीसगढ़ में मराठों की शासन प्रणाली थी।
  • छत्तीसगढ में प्रत्यक्ष भोंसला शासन का कार्यकाल 1758 – 87 ई. है।
  • मराठा शासनकाल में मादक द्रव्यों पर लगने वाले कर का नाम ‘कलाली’ था।
  • रघुजी तृतीय ने छत्तीसगढ़ में सती प्रथा उन्मूलन हेतु सन् 1831 में आदेश पारित किया था।
  • छ.ग. में भूमि व्यवस्था के क्षेत्र में मराठों ने तालुकदारी क्षेत्र की नई प्रथा आरंभ की।
  • छत्तीसगढ़ में मराठा राज के पुर्नस्थापना का कालखण्ड 1830-54 है।
  • छत्तीसगढ़ में प्रथम मराठा सूबेदार महीपतराव दिनकर थे।
  • छत्तीसगढ़ में अंतिम मराठा सूबेदार यादवराव दिवाकर थे।
  • मराठा शासन काल में प्रत्येक गाँव का दौरा कर उचित रुप से उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार
  • वहां के लगान संबंधी दस्तावेज बरारपाण्डे तैयार करता था।
  • मराठा शासन में परगने के प्रमुख अधिकारी को कमाविंसदार कहा जाता था।
  • मराठा शासन द्वारा विभिन्न जमींदारी क्षेत्रों से निर्धारित वार्षिक राशि कर के रुप में ली जाती थी,जिसे टकोली कहते थे।
  • छत्तीसगढ़ में मराठा/ब्रिटिशकाल में प्रमुख आयात-नियर्यात कर ‘सायर’ था।
  • मराठा शासन द्वारा गैर कृषक वर्ग से लिया जाने वाला कर ‘पंडरी’ था।
  • भोंसला आक्रमण से भयभीत होकर दलपत देव ने 1770 ई. में बस्तर में मंधोता को अपनी
  • राजधानी बनाया।
  • मराठा शासन काल में राजधानी स्थित खजाने में जमा होने एवं निकलने वाली राशि का हिसाब किताब पोतदार रखता था।
  • मराठा शासन काल में आय और व्यय का हिसाब किताब फड़नवीस रखता था।
  • सन् 1830 ई. के पूर्व तक छत्तीसगढ़ के मराठाप्रशासनिक कार्यों में फारसी भाषा का प्रयोग होता था।
  • छत्तीसगढ़ में मराठा शासन का अंतिम पतन 1854 में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ को ब्रिटिश संरक्षण व्यवहारिक रुप से सन् 1818 ई. में प्राप्त हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ का प्रथम प्रशासकीय अधीक्षक कैप्टन एडमंड को बनाया गया था।
  • सन् 1818 से 1830 के ब्रिटिश छत्तीसगढ का अन्तिम ब्रिटिश अधीक्षक कैप्टन क्राफर्ड था।
  • अंग्रेज अधिकारी कर्नल एग्ू नेरायपुर को राजधानी बनाया था।
  • अंग्रेजों द्वारा 1855 में नियुक्त प्रथम डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स इलियट था।
  • गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसम्बर सन् 1756 में गिरौदपुरी (बलौदाबाजार) में हुआ था।
  • गुरु घासीदास की माता अमरौतिनबाई एवं पिता महंगूदास थे
  • गुरु घासीदास के पुत्र का नाम बालक दास था।
  • गुरु घासीदास को सोना खान की पहाड़ी पर आँवले और धौरा वृक्ष के नीचे सतनाम का बोध
  • हुआ और उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना की।
  • छ.ग. में कबीर पंथ की स्थापना धनी धर्मदास ने की थी।
  • छ.ग. में कुदूरमाल, रतनपुर, धमधा एवं दामाखेड़ा आदि प्रसिद्ध कबीर पंथ की ग्दियाँ है ।
  • अंग्रेजों के समय में छत्तीसगढ़ में रियासतों की संख्या 14 थी।
  • अंग्रेजों के समय में छत्तीसगढ़ में जर्मींदारियों की संख्या 33 थी।
  • बस्तर छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी रियासत थी।
  • सक्ती छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी रियासत थी।
  • ब्रिटिश भारत में सर्वाधिक वार्षिक आमदनी वाली कोरिया रियासत थी।
  • कोरिया रियासत के राजा एल.आर. एस. सिंह सर्वप्रथम आई. सी.एस. में उत्तीर्ण हुए।
  • खैरागढ़ प्रथम व एकमात्र रियासत थी जिसने भारत संघ में प्रवेश की स्वीकृति दी थी।
  • राजनांदगाँव रियासत में बैरागी वंशीय नरेश का शासन था।
  • छ.ग. की महान् विभूति महारानी पद्मावती देवी खैरागढ़ रियासत की रानी थी।
  • रायगढ़ रियासत के प्रसिद्ध संगीतप्रेमी राजा चक्रधर सिंह का जन्म सन् 1905 में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ के पराक्रमी वीर कचना धुरुवा बिन्द्रानवागढ़ जमींदारी के अंतर्गत थे।
  • पढ़ने वाले छात्रों के लिए हेल्थ कार्ड की परंपरा को कोरिया रियासत ने पहली बार शुरु किया।
  • छ.ग. में जमींदारियों की स्थिति का अध्ययन सर्वप्रथम रिचर्ड टेम्पल ने किया था।
  • ब्रिटिशकालीन बिलासपुर जिले की सबसे बड़ी जमींदारी कोरबा थी।
  • राजा रुद्रप्रतापदेव के समय जगदलपुर को टाउन प्लानिंग के अनुसार ‘चौराहों का शहर ‘ बनाया गया था।
  • राजा प्रवीरचंद भंजदेव की जन्म स्थली दार्जिलिंग हैं।
  • प्रख्यात कत्थक कलाकार प्रो. कार्तिक कल्याण रायगढ़ राजा के दरबार की शोभा थे।
  • कमल प्रकाश रागमाला’ राजा कमल नारायण सिंह की प्रसिद्ध रचना है।
  • कोरिया राज्य के संस्थापक नरेश राजा धारमल शाह थे।
  • ब्रिटिश कालीन छत्तीसगढ़ में राजस्व मामलों से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए एक
  • नियमावली थी जिसका नाम ‘दस्तूर उल अमल दिया गया था।
  • छत्तीसगढ़ में ताहूतदारी पद्धति का सूत्रपात केप्टन सेन्डिस के अधीक्षण काल में हुआ था।
  • 12 सितंबर 1778ई. में शासकीय कार्य करते हुए इलियट का देहावसान हो गया था। उनकी
  • कब्र सारंगढ़ से 12 मील दूर सालर पर है।
  • सन् 1842-63 ई. में हुआ मेरिया विद्रोह’ मेरिया आदिवासियों ने किया था।
  • 1856-57 में बस्तर का मुक्ति संग्राम लिंगागिरी विद्रोह धुर्वाराव माड़िया के नेतृत्व में हुआ था।
  • विख्यात ‘सोनाखान जमीदारी’ वर्तमान मे बलौदाबाजार तहसील में स्थित है।
  • छ.ग. के सपूत वीर नारायण सिंह का जन्म सोनाखान (बलौदाबाजार) में हुआ था।
  • वीर नारायण सिंह ने अँग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया, फलस्वरूप अँग्रेजी शासन ने उनकी बहादुरी को निर्ममता से कुचला और कैप्टन स्मिथ के नेतृत्व में उन्हें गिरफ्तार किया गया।
  • शहीद वीरनारायण सिंह को रायपुर जेल में रखा गया था।
  • वीर नारायण सिंह को रायपुर के जयस्तंम्भ चौक पर 10 दिसंबर 1857 को फांसी दी गई थी।
  • शासकीय अभिलेखों के अनुसार छ.ग. का प्रथम शहीद वीरनारायण सिंह को माना जाता है।
  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुरेन्द्र साय सम्बलपुर के जर्मीदार थे।
  • छत्तीसगढ़ का तात्या टोपे’ सुरेन्द्र साय को कहा जाता है।
  • ठा. हनुमान सिंह ने अपने 17 सिपाहियों के साथ 18 जनवरी 1858 को विद्रोह किया था।
  • 18 जनवरी 1858 को तृतीय रेजीमेन्ट के मैग्जीन लश्कर हनुमान सिंह ने सार्जेन्ट मेजर सिडवेल की हत्या की।
  • 22 जनवरी सन् 1858 में सार्वजनिक तौर पर 17 विद्रोही सिपाहियों को फांसी दी गई थी।
  • छत्तीसगढ़ का ‘मंगल पांडे’ हनुमान सिंह को कहते हैं ।
  • बस्तर में 1876 को हुआ मुरिया विद्रोह भैरमदेव राजा के कार्यकाल में हुआ था।
  • 1876 के मुरिया विद्रोह का समाधान मैक जार्ज की मध्यस्था में हुआ था।
  • भूमकाल आन्दोलन सन् 1910 में बस्तर नरेश रुद्रप्रताप देव के समय हुआ था।
  • भूमकाल के विद्रोह का प्रतीक चिन्ह लाल मिर्च व आम की टहनी था।
  • भूमकाल के विद्रोह का नेता गुण्डाधूर था।
  • भूमकाल विद्रोह के सूत्रधार लाल कालेन्द्र सिंह बस्तर राज्य के दीवान थे।
  • लाल कालेन्द्र सिंह को निर्वासित कर एलिचपुर के जेल में रखा गया।
  • सन् 1910 में रायपुर जेल में बस्तर के 27 क्रांतिकारियों को प्राणदण्ड दिया गया था।
  • शहीद बाबूराव मोनापल्ली बस्तर के निवासी थे।
  • रानी सुवरन कुंवर सन् 1825 में शहीद हुई थी।
  • सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में 03 (रायपुर, रतनपुर व धमतरी ) तहसीले गठित की गई थी।
  • छ.ग. राज्य की मांग सर्वप्रथम 1924 के त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन में पं. सुन्दरलाल शर्मा ने दायी थी।
  • छत्तीसगढ़ी राज्य की मांग सर्वप्रथम अविभाजित म.प्र. के विधानसभा में ठाकुर रामकृष्ण सिंह ने उठाई थी।
  • छत्तीसगढ़ महासभा का गठन सन् 1956 में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ की रियासतों ने पूर्वी राज्य संघ का निर्माण अगस्त 1947 में किया था।
  • बैरिस्टर छेदीलाल की जन्म स्थली अकलतरा हैं।
  • बैरिस्टर छेदीलाल बिलासपुर जिले के प्रथम बैरिस्टर माने जाते हैं।
  • प्रसिद्ध साहित्यकार व क्रांतिपुरुष बंदे अली फातमी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के गौरव थे।
  • ‘विद्या मंदिर योजना’ का श्रीगणेश पं. रविशंकर शुक्ल ने किया था।
  • ठा. प्यारेलाल सिंह ने 1920 में बी. एन.सी. मिल की हड़ताल का नेतृत्व किया था।
  • पं. सुन्दरलाल शर्मा ने राजीव लोचन मंदिर में अछूत कहे जाने वाले लोगों को प्रवेश कराया।
  • बिलासपुर का नामकरण बिलासा दाई केंवटीन के नाम पर माना जाता है।
  • महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय महंत बलरामदास के द्वारा स्थापित कराया गया।
  • 1916 के होमरुल लीग की स्थापना व प्रसार मूलचंद बागड़ी, माधवराव सप्रे एवं लक्ष्मण राव ने किया था।
  • छत्तीसगढ़ में गांधी जी की हरिजन यात्रा नवंबर 1933 में हुई थी।
  • पुजारीपाल शिलालेख के अनुसार रामाभ्युदय’ नामककाव्यग्रन्थ की रचना नारायण ने की थी।
  • छ.ग. राज्य निर्माण के लिए डॉ. खूबचंद बघेल ने ‘छत्तीसगढ़ मातृसंघ संस्था’ की नींव रखी।
  • यति यतनलाल महासमुन्द के विवेकवर्धन आश्रम से संबंधित थे ।
  • छत्तीसगढ़ के तमाम रियासतों में कांग्रेस की स्थापना सन् 1946 में हुई थी।
  • ठा. प्यारेलाल ने असम राज्य में काम करने वाले छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के अधिकारों के लिए जन आन्दोलन किया था।
  • गनपत सिंह चन्द्रवंशी कवर्धा जिले में राष्ट्रीय चेतना का प्रसारण करने वाले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।
  • के.बी.एल.अग्निहोत्री छ.ग. में सार्वजनिक गणेशोत्सव के संस्थापकों में एक थे।
  • छत्तीसगढ़ से 08 विभूतियों ने अँग्रेजी उपाधियों का परित्याग किया था।
  • स्वाधीनता सेनानी अनंतराम बर्छिहा का जन्म रायपुर जिले में हुआ था।
  • स्वाधीनता सेनानी पं.वामनराव लाखे का जन्म सन् 1872 में हुआ था।
  • महान् स्वाधीनता सेनानी ठाकुर प्यारेलाल का जन्म सन् 1891 में हुआ था।
  • बैरिस्टर ठा. छेदीलाल का जन्म सन् 1887 में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ के महान् दानवीर दाऊ कल्याण सिंह का जन्म सन् 1876 में हुआ था।
  • पं. रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1877 में सागर (म.प्र.) हुआ था।
  • 1915 में रायपुर में होमरुल लीग की स्थापना के समय उसके अध्यक्ष पं. वामनराव लाख था
  • पं. सुन्दरलाल शर्मा को कांकेर नरेश ने 18 गाँव भेंट किये थे।
  • व्याकरणाचार्य हीरालाल काव्योपाध्याय का देहावसान 34 वर्ष की अल्प आयुमें हो गया था।
  • धमतरी जिले में सर्वप्रथम राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने की थी।
  • धमतरी में सन् 1921 में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की गई थी।
  • छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय जागरण के अग्रदूत पं. सुन्दरलाल शर्मा माने जाते है।
  • छत्तीसगढ़ में सहकारिता का मंत्रदाता पं. वामनराव लाखे को माना जाता है।
  • पं. वामनराव लाखे को ‘लोकप्रिय’ की उपाधि से विभूषित किया गया था ।
  • असहयोग आंदोलन के दौरान ‘रायसाहब’ की पद्वी पं. वामनराव लाखे ने त्यागी थी।
  • छत्तीसगढ़ में ‘त्यागमूर्ति’ की उपाधि ठाकुर प्यारेलाल को प्रदान की गई थी।
  • पं. वामनराव लाखे ने 1913 में ‘रायपुर को-ऑपरेटिव सेन्ट्रल बैंक’की स्थापना की थी।
  • चार्ल्स इलियट प्रथम यूरोपीय अधिकारी थे, जो सन् 1856 ई. में बस्तर आये थे।
  • किसान उराँव बगावत सन् 1918 में हुई थी।
  • प्रसिद्ध कण्डेल सत्याग्रह (धमतरी जिला) 1920 के सूत्रधार पं. सुन्दरलाल शर्मा थे।
  • महात्मा गांधी का छत्तीसगढ़ में प्रथम आगमन 20 दिसंबर 1920 में हुआ था।
  • गांधी जी के प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास में उनके साथ अली बंधु थे।
  • गाँधी जी ने कंडेल नहर कर विवाद के समाधान हेतु आंदोलन में भाग लिया था।
  • डॉ. राजेन्द्रप्रसाद व राजगोपालाचारी सन् 1921 में छ. ग. के आन्दोलन में सम्मिलित हुए?
  • छत्तीसगढ़ में ठाकुर प्यारेलाल सिंह ने भू-आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
  • ई.राघवेन्द्र राव राष्ट्रीय आंदोलन के समय, बिलासपुर के प्रसिद्ध नेता थे।
  • प्रसिद्ध रायपुर जिला राजनीतिक सम्मेलन सन् 1922 मई में आयोजित हुआ था।
  • महासमुन्द में जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व शंकर राव गनोदवाले ने किया था।
  • सविनय-अवज्ञा आंदोलन के समय वानर सेना का गठन वासुदेव देवरस ने किया था।
  • छत्तीसगढ़ में गांधी जी की हरिजन यात्रा सन् नवंबर 1933 में हुई थी।
  • छत्तीसगढ़ में व्यक्तिगत सत्याग्रह का शुभारंभ पं. रविशंकर शुक्ल ने किया था।
  • रायपुर षडयंत्र केस में अंग्रेजों का मुखबिर बनने वाला देशद्रोही शिवनंदन था।
  • प्रसिद्ध इमली आंदोलन बस्तर जिले से संबंधित हैं।
  • सेवा समिति का गठन बैरिस्टर छेदीलाल ने किया था।
  • छत्तीसगढ़ में स्वयं सेवक संगठन की स्थापना डॉ. खूबचंद बघेल ने 1931 में हुई थी।
  • असहयोग आंदोलन के दौरान कल्याण जी मुरारजी थैकर ने विधानसभा से इस्तीफा दिया था।
  • 1930 में ‘पट्टा मत लो’ नामक आंदोलन ठाकुर प्यारेलाल ने चलाया।
  • असफल रायपुर षडयंत्र मामले के नायक श्री परसराम सोनी थे।
  • राजनांदगाँव की ऐतिहासिक मजदूर हड़ताल में व्ही.व्ही. गिरी ने भाग लिया था।
  • रायपुर जिले में सबसे कम उम्र में गिरफ्तार होने वाले नेता कुन्दनलाल उपाध्याय थे।
  • छत्तीसगढ़ में बरदाटोला जंगल सत्याग्रह कांकेर जिले में हुआ था।
  • रुद्री जंगल सत्याग्रह के प्रथम सत्याग्रही नत्थू जी जगताप थे।
  • रूद्री जंगल सत्याग्रह अगस्त 1930 में प्रारंभ हुआ था।

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  • रूद्री जंगल सत्याग्रह में मिन्टू कुम्हार की शहादत हुई थी।
  • नगरी सिहावा क्षेत्र के आदिवासियों का जंगल सत्याग्रह सन् 1922 में प्रारंभ हुआ था।
  • पं. सुन्दरलाल शर्मा का देहावसान 28 दिसंबर 1940 को हुआ था।
  • पंडित वामनराव लाखे 15 अगस्त 1947 को रायपुर के गांधी चौक में झंडा फहराया था ।
  • 1947 में स्वतंत्रता के समय छत्तीसगढ़ सेन्ट्रल प्राविन्स एवं बरार का हिस्सा था ।
  • सिरपुर में सोमवंशीय शासकों ने बौद्ध-विहारों का निर्माण करवाया।
  • सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर (650 ई.) जो कि ईटों से बना भारत के सर्वोत्तम मंदिरों में एक है।
  • ईटों से बना शबरी मंदिर खरौद (शिवरीनारायण) में स्थित है।
  • छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर का निर्माण पंचायन शैली में हुआ है।
  • राजीव लोचन मंदिर का जीर्णोद्धार जगतपाल नरेश ने करवाया था।
  • सरगांव (बिलासपुर) में स्थित धूमनाथ मंदिर राज्य शासन द्वारा संरक्षित स्मारक है ।
  • प्रथम तीर्थकर की प्रतिमाएं छत्तीसगढ़ के मल्हार के परगनिहा मंदिर में मिली थी।
  • चंद्रादित्य मंदिर’ बस्तर संभाग के बारसूर में स्थित हैं।
  • देवपाल मोची ने सन् 1415 में विष्णु मंदिर खल्लारी में स्थापित करवाया था।
  • महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्म चम्पारण्य (राजिम) में सन् 1479 ई. में हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिर कुलेश्वर महादेव राजिम में हैं।
  • राजिम के त्रिवेणी संगम में कुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
  • मावली माता’ का प्रसिद्ध मंदिर सिंगारपुर में स्थित हैं ।
  • छत्तीसगढ़ का सर्वश्रेष्ठ धातु प्रतिमा ‘तारा’ मल्हार (बिलासपुर) में हैं।
  • ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर व आनंद प्रभु कुटीर विहार सिरपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
  • प्रसिद्ध महामाया मंदिर रतनपुर (बिलासपुर) में स्थित हैं।
  • प्रसिद्ध चितावरी देवी का मंदिर धोबनी (बलौदाबाजार) में स्थित हैं।
  • बूढ़ीखार (मल्हार) से प्राप्त छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम मूर्ति चतुर्भुजी विष्णु की प्रतिमा है।
  • छत्तीसगढ़ में प्राप्त काल पुरुष (तालागांव) प्राचीन अद्भूत प्रतिमा को विभिन्न पशु पक्षियों जीव जन्तुओं का प्रतिरुप देकर आकार दिया गया है।
  • ‘महिषासुर-मर्दिनी’ की विशिष्ट मूर्ति डीपाडीह (सरगुजा) से मिली है।
  • बस्तर का प्रसिद्ध विशाल भव्य मंदिर नारायणपाल चालुक्य शैली में बनाया गया है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य संरक्षित स्मारक गुढ़ियारी मंदिर बस्तर में स्थित हैं।
  • छत्तीसगढ़ राज्य संरक्षित स्मारक ‘सिद्देश्वर मंदिर’ पलारी में स्थित हैं।
  • संगमरमरी भव्यता का अप्रतिम देवालय श्री गौरीशंकर मंदिर रायगढ़ में स्थित है।
  • मल्हार का पातालेश्वर मंदिर भमिज स्थापत्य शैली का उदाहरण है।
  • तालागांव से प्राप्त कालपुरुष की रहस्यमयी प्रतिमा वास्तव में रुद्रशिव की है।
  • छत्तीसगढ़ में प्राप्त ईंट निर्मित एक मात्र विशाल चैत्य मंदिर भोंगापाल में है।
  • छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध शिवरीनारायण का मंदिर 12 वीं शताब्दी में निर्मित है।
  • कपिलेश्वर मंदिर बालोद में स्थित है।
  • बस्तर के नारायणपाल में विष्णु देव का प्रसिद्धर मंदिर हैं।
  • देवी चन्द्रहासिनी का प्रसिद्ध मंदिर जांजगीर-चांपा जिले में स्थित है।
  • खंडोबा देव का प्रथम मंदिर छत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थापित किया गया है।
  • 10-11 वीं शताब्दी का डिडिनदाई मंदिर बिलासपुर के मल्हार ग्राम में स्थित है।
  • प्रसिद्ध पुरातात्विक (सैल चित्र एवं गुफाएं) स्थल सिंघनपुर रायगढ़ जिले में है।
  • प्रसिद्ध धार्मिक स्थल दामाखेड़ा बलौदाबाजार जिले में स्थित है।
  • छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध सिरपुर महासमुन्द जिले में स्थित है।
  • 12वीं शताब्दी का प्रसिद्ध जैन मंदिर ‘भांडदेउल’ आरंग में स्थित है।
  • छत्तीसगढ़ का प्राचीन मंदिर खेड़पति मंदिर’ दुर्ग जिले में स्थित है।
  • छ.ग. के दुर्ग जिले के धनोरा स्थल में लगभग 500 महापाषाणीय स्मारक स्थित है।
  • मामा-भांजा’ का मंदिर बारसूर में स्थित हैं।
  • केशकाल में भोंगाराम प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
  • प्राचीनतम नाट्यशाला का अवशेष बलरामपुर जिले के सीता गुफा से प्राप्त हुआ है।
  • सिरपुर पुरातात्विक स्थल ‘स्वास्तिक विहार’ से संबंधित हैं ।
  • छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर सिरपुर में स्थित है ।
  • छत्तीसगढ़ का खजुराहों’ भोरमदेव मंदिर कवर्धा जिले में स्थित हैं।
  • सन् 1089 ई. में राजा गोपाल देव ने भोरमदेव मंदिर का निर्माण करवाया था।
  • भोरमदेव नागर शैली का सुंदर उदाहरण है।
  • ताला की प्रसिद्ध शिव प्रतिमा का निर्माणकाल 500-550 ई. हैं।
  • छत्तीसगढ़ का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन कार्य सिरपुर में सन् 1953 से प्रारंभ हुआ।
  • छत्तीसगढ़ का चित्तौड़गढ़’ लाफागढ़ को कहते हैं।

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  • सप्त ऋषि आश्रम सरगुजा (डीपाडीह) जिले में स्थित है।
  • मड़वा महल व छेरकी महल भोरमदेव के समीप स्थित है।
  • रायगढ़ के कबरा पहाड़ से मध्य-युग के औजार प्राप्त हुए हैं।
  • पौराणिक स्थल ‘तुरतुरिया’ कसडोल में स्थित है।
  • पुरातात्विक स्थल ‘गढ़धनौरा’ बस्तर में स्थित है।
  • खुदाई में बौद्ध धर्म का विहार ‘स्वास्तिक विहार’ सिरपुर में मिला है।
  • रायपुर के दूधाधारी मठ की स्थापना बलभद्र दास ने की ।
  • भारतीय चित्रकला में ‘वरुण का मंदिर’ जोगीमारा की गुफा को कहा जाता है।
  • रामगिरी पहाड़ी में स्थित नाट्यशाला का निर्माण देवदीन कलाकार ने किया था।
  • छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध शैलाश्रय स्थल ‘खैरपुर’ रायगढ़ जिले में स्थित है।
  • छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध शैलाश्रय स्थल ‘बेनीपाट’ रायगढ़ जिले में स्थित है।
  • राजधानी रायपुर स्थित टाऊन हॉल का निर्माण सन् 1887 में हुआ था।
  • महारानी विक्टोरिया द्वारा ‘कैसर ए हिन्द’ उपाधि लेने की स्मृति में रायपुर में जयस्तम्भ चौक के
  • पास कैसर-ए-हिन्द’ दरवाजा सन् 1877 में बनाया गया था।
  • सन् 1875 में स्थापित ‘महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर’ देश का 06 वें नंबर का पुराना संग्रहालय है।