छत्तीसगढ़ कलाकार सामान्य ज्ञान : CG GK CGPSC & VYAPAM

छत्तीसगढ़ी कलाकार सामान्य ज्ञान : Chhattisgarh Artist General Knowledge

छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान Cg Question Answer in Hindi: Click Now

  1. राजा चक्रधर सिंह (जन्म : 19 अगस्त, 1905, मृत्यु : 7 अक्तूबर, 1947) गायन, वादन, अभिनय और नर्तन के विशेषज्ञ राजा चक्रधर सिंह का जन्म रायगढ़ में हुआ था। संगीत और नृत्य विद्या में उन्होंने अनेक बहुमूल्य कृतियों की रचना की जिसमें ‘नर्तन सर्वस्वौम’, ‘ताल तोय निधि’, ‘राग रत्न मंजूषा’ आदि प्रमुख हैं।
  2. दाऊ दुलार सिंह मंदरा जी (जन्म : 1 अप्रैल, 1910, मृत्युः 24 सितम्बर, 1984): खेली गाँव के जमींदार परिवार में जन्मे दाऊ मंदरा जी के लिए कला की सेवा सर्वोपरि थी। उन्होंने अपने जीवन के लगभग 50 वर्षों तक छत्तीसगढ़ी संस्कृति और ‘नाचा’ के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  3. झाडूराम देवांगन (जन्म : 1927) : राज्य के बासिन गाँव में जन्मे लोक गायक झाडूराम देवांगन ने एक ओर अपने परिवेश के विश्वासों और रूचियों को तो दूसरी ओर महाभारत के अलौकिक सौन्दर्य को अपने जीवन की सहज लय में रूपान्तरित किया है। वर्ष 1988 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान, 1990-91 में राज्य के शिखर सम्मान तथा 2001 दाऊ मंदरा जी सम्मान प्रदान किया गया।
  4. सोमेश अग्रवाल (जन्म : 12 सितम्बर, 1953) : राज्य के प्रतिष्ठित रंगमंचीय कलाकार श्री अग्रवाल ने दूरदर्शन के धारावाहिक ‘नुक्कड़’ में मोची की भूमिका अभिनीत करके अपूर्व प्रशंसा अर्जित की। इसके साथ ही उन्होंने जमीर, विद्रोह, शस्त्र, देश, मेला जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया है।
  5. जयदेव बघेल : श्री बघेल को बस्तर की प्राचीनतम एवं परम्परागत शिल्प कला को उन्नत करने का श्रेय प्राप्त है। उनकी अनेकानेक कलाकृतियों की एकल प्रदर्शनी आयोजित की गई है और उन्हें प्रदेश तथा राष्ट्र के अनेक संग्रहालयों में स्थान दिया गया है।
  6. देवदास बंजारे (जन्म : 1 जनवरी, 1917) : छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य ‘पंथी’ के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लोकनर्तक ने देश-विदेश के अनेकानेक रंगमंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन करके अपार प्रशंसा अर्जित की है। उन्हें विदेशों में आयोजित ‘भारत महोत्सव’ में भी भाग लेने के अवसर मिले हैं।

7.तीजनबाई (जन्म : 1956) : छत्तीसगढ़ी लोककला ‘पंडवानी’ की विश्व-विख्यात गायिका तीजनबाई को देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करके विश्वव्यापी ख्याति अर्जित करने का गौरव प्राप्त है। उन्हें ‘पद्मश्री’ से विभूषित किए जाने के साथ ही अनेकानेक बार सम्मानित भी किया गया है।

  1. डॉ० चन्द्रमोहन वर्मा (जन्म : 4 सितम्बर, 1947) : गायन कला के अद्भुत कलाकार डॉ. वर्मा एक चिकित्सक हैं, किन्तु उनकी ख्याति एक गायक के रूप में आंकी जाती है। उन्हें देश-विदेश के अनेक संगीत समारोहों तथा संगोष्ठियों में भाग लेने का अवसर मिला है।
  2. रितु वर्मा (जन्म : 1977): ‘पंडवानी’ लोक गायन कला की इस युवा गायिका को देश-विदेश में अपनी कला के प्रदर्शन तथा सम्मानित होने का अवसर मिला है।
  3. रामलाल बरेठ (जन्म : 6 मार्च, 1936) : उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत अकादमी से सम्बद्ध श्री बरेठ रायगढ़ घराने की नृत्य-कला में श्री वृद्धि करने में संलग्न हैं। उन्होंने अनेकानेक कार्यक्रमों में भाग लेकर अपूर्व ख्याति अर्जित की है।
  4. लक्ष्मण चन्द्राकर : छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार श्री चन्द्राकर एक लम्बी अवधि से ‘सोनहा बिहान’ में सक्रिय हैं।
  5. मोक्षदा ममता चन्द्राकर (जन्म : 3 दिसम्बर, 1958): छत्तीसगढ़ी लोक गायिका सुश्री चन्द्राकर ‘सोनहा बिहान’ से सम्बद्ध हैं। उन्होंने टेलीफिल्म ‘चिन्हा’, ‘कोंपल’ ‘मयारूख चंदा’ आदि के लिए गाया है। उन्होंने अनेकानेक संगीत समारोहों में भी गाया है। वे आकाशवाणी की ‘ए’ वर्ग की गायिका-कलाकार हैं। उनकी मया, सुरता, चिन्हा, संगवारी आदि ऑडियो कैसिट जारी हो चुके हैं।
  6. दयाराम ए. चावड़ा (जन्म : 22 मार्च, 1936) : राज्य के बहुप्रशंसित छायाकार श्री चावड़ा को लन्दन के ‘कैमरामैन ऑफ दॆ ईयर’ तथा ‘एडवर्टाइजिंग क्लब ऑफ मुम्बई’ आदि पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है। इन्होंने एक छायाकार के रूप में विश्व भ्रमण भी किया है।
  7. मंजुला दास गुप्ता (जन्म : 24 जनवरी, 1939): बांग्ला तथा छत्तीसगढ़ी की गायिका सुश्री गुप्ता आकाशवाणी से संम्बद्ध हैं। उन्हें दूरदर्शन पर भी गायन का अवसर मिला है। बांग्ला फिल्म ‘मानू जेलो लोट्टेरी’ की गायिका सुश्री गुप्ता के छत्तीसगढ़ी में भी अनेकानेक अलबम उपलब्ध हैं। उन्हें प्रधानमंत्री आवास तथा राष्ट्रपति भवन में भी अपनी कला को प्रदर्शित करने के अवसर मिले हैं।
  8. जयंत शंकर देशमुख (जन्म : 12 दिसम्बर, 1958) : कलाकार तथा निर्देशक श्री देशमुख ने बिरसा मुंडा, जुलूस, तटस्थ, अंधेर नगरी, मृत्युन्जय आदि नाटकों का निर्देशन एवं अभिनय करके अपार ख्याति अर्जित की है। उन्होंने ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी फिल्मों में भी कार्य किया है। उन्हें अनेकानेक बार पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया है।
  9. प्रशांत कमल दिवाकीर्ति : छत्तीसगढ़ी कला के वास्तुशिल्पी श्री दिवाकीर्ति ने रायपुर में बोतल के आकार के एक भवन की डिजाइनिंग करके विश्वव्यापी कीर्ति अर्जित की है।
  10. भैयालाल हेड़ाऊ (जन्म : 8 अक्टूबर, 1933) : विश्वविख्यात निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म ‘सद्गति’ में अभिनय, आकाशवाणी से लोक-गायन तथा लोकनाटकों के अभिनय एवं निर्देशन ने श्री हेड़ाऊ को एक राष्ट्रीय लोक कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
  11. सन्तोष जैन : अभिनेता, निर्माता-निर्देशक तथा रंग-मंचीय तकनीक-विशेषज्ञ श्री जैन विगत 25 वर्षों से रंगमंच से सम्बद्ध हैं। उनके लगभग 50 नाटकों की एक हजार से अधिक बार प्रस्तुतियाँ हो चुकी हैं। उन्होंने भोपाल एवं रायपुर दूरदर्शन के धारावाहिकों ‘हैलो जिन्दगी’ तथा ‘वाह-95’ आदि में तकनीकी सहयोग दिया है। उन्हें अनेक बार सम्मानित किया जा चुका है।
  12. गोविन्द राम झारा (जन्म : 1950) : पारम्परिक धातु के शिल्पकार श्री झारा की कला के नमूने विशद रूप से प्रशंसा के पात्र बने हैं। ‘भारत भवन’ की रूपांकन आर्ट गैलरी में उनकी कलाकृतियों का प्रदर्शन आयोजित हो चुका है। मध्य प्रदेश शासन ने इन्हें ‘शिखर सम्मान’ से सम्मानित किया है।
  13. बेलगूर मंडावी : आदिवासी चित्रकला एवं काष्ठ कला के कलाकार श्री मंडावी की अनेकानेक कलाकृतियों ने भारत भवन, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, आदिवासी लोक कला संग्रहालय तथा राष्ट्रीय हस्तकला संग्रहालय में स्थान प्राप्तकर के उन्हें अपार ख्याति प्रदान कराई है।
  14. बुधादित्य मुखर्जी (जन्म : 7 दिसम्बर,1995) : श्री मुखर्जी को लन्दन के ‘हाउस ऑफ कॉमन’ में सितार वादन तथा सितार पर ‘टप्पा’ बजाने वाले प्रथम भारतीय वादक कहलाने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने अनेकानेक अन्तर्राष्ट्रीय संगीत समारोह में भाग लेकर अपार ख्याति के साथ पुरस्कार एवं सम्मान भी अर्जित किए हैं।
  15. विमलेन्दु मुखर्जी (जन्म : 1 मार्च, 1926) : भूगर्भविद् श्री मुखर्जी ने अपने सितार वादन के द्वारा जहां अपार लोकप्रियता अर्जित की है, वहां अनेकानेक सम्मान भी प्राप्त किए हैं।
  16. नत्थूदादा रामटेके : राजनांदगाँव निवासी इन मात्र दो फीट कद वाले श्री रामटेके ने राजकपूर के साथ लगभग 5 वर्ष तक कार्य किया है। उन्हें छत्तीसगढ़ी मंच के साथ ही मेरी भाभी, इंसाफ की बेटी, गुनाह और कानून, टैक्सी चोर जैसी फिल्मों में भी अभिनय का अवसर मिला है।
  17. राजकमल नायक (जन्म : 14 अक्टूबर, 1952) : रंगमंच पर लगभग 25 वर्षों से सक्रिय श्री नायक ने लगभग 100 नाटकों में अभिनय तथा 50 नाटकों का लेखननिर्देशन किया हैं। उनके नाटकों का देशव्यापी प्रदर्शन हुआ है।
  18. श्याम कुमार निनोरिया श्यामनि‘ (जन्म: 29 सितम्बर, 1947) : बस्तर के आदिवासी जीवन पर आधारित चित्रों के चितेरे श्री श्यामनि ने जहाँ चित्र लोककला का प्रदर्शन किया है, वहाँ चित्र-कला विषयक पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्हें अनेकानेक बार पुरस्कृत किया जा चुका है।
  19. अनूप रंजन पांडेय (जन्म: 21 जुलाई, 1965): छत्तीसगढ़ लोकवाद्यों के संकलनकर्ता श्री पांडेय ने रंगमंच पर क्षेत्रीय वाद्य एवं गायन कला के उन्नयन हेतु भागीरथ प्रयास किए हैं।
  20. सुलक्षणा पंडित : रायगढ़ की इस फिल्मी कलाकार ने मात्र 9 वर्ष की अल्पायु में अपनी कला का प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने अनेकानेक फिल्मों में गायन के साथ-साथ अभिनय भी किया है।
  21. डॉ. आशीर्वादम देवादनम् पुरम् (जन्म : 12 जून, 1929) : खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ. पुरम् ने अपनी नृत्य कला के प्रदर्शन के साथ ही अनेकानेक नर्तकों एवं नृत्यांगनाओं को भी नृत्य में दक्ष किया है। उन्होंने नृत्यकला पर शोध भी किया है और मार्गदर्शन भी।
  22. डॉ. अरुण कुमार सेन (जन्म : 6 जून, 1928) : भातखण्डे इन्स्टीच्यूट ऑफ म्यूजिक एण्ड म्यूजिकोलॉजी के निदेशक डॉ. सेन ने अनेकानेक राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक संगीत संस्थाओं में राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। उन्हें अनेकानेक बार सम्मानित किया जा चुका है।
  23. डॉ. प्रवीण शर्मा (जन्म : 18 जुलाई, 1961): राज्य के एक प्रतिष्ठित चित्रकार डॉ. शर्मा ने क्षेत्रीय चित्रकला के उत्थान हेतु अनेकानेक संस्थाओं का गठन करके चित्रकारों का मार्गदर्शन किया है।
  24. डॉ. मधुरिमा शास्त्री (जन्म : 15 अप्रैल, 1938) : श्री शास्त्री ने भरतनाट्यम का प्रदर्शन, नाटकों का लेखन एवं निर्देशन, संगीत विषयक लेखन के द्वारा अपार ख्याति अर्जित की है। उन्हें गायन हेतु स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया है।
  25. हबीब तनवीर (जन्म : 1 सितम्बर, 1923, मृत्यु : 8 जून, 2009) : ‘नया थिएटर’ के विश्व-विख्यात रंगमंचीय कलाकार, लेखक तथा निर्देशक श्री तनवीर ने रंगमंच के उन्नयन में जो विशिष्ट योगदान दिया है वह राज्य के लिए एक गर्व की बात है। उनके द्वारा रचित नाटकों के नाम हैं-‘आगरा बाजार’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘लाला शोहरत राय’, ‘मिट्टी की गाड़ी’, ‘तंबाकू के नुकसान’, ‘चरणदास चोर’, ‘पोंगा पंडित’, ‘गाँव का नाम ससुराल’, ‘बहादुर कलारिन’, ‘जमादारन’, ‘हिरमा की अमर कहानी’ आदि । नाटकों ने विश्व-व्यापी प्रदर्शन द्वारा उन्हें सदा ही सम्मानित-पुरस्कृत कराया है। इन्हें वर्ष 2002 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
  26. मदन लाल निषाद : राज्य के इस लोक कलाकार को मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘तुलसी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
  27. मालाबाई : राज्य की इस लोक कलाकार को मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘तुलसी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
  28. फिदाबाई : राज्य की इस लोक कलाकार को मध्य प्रदेश शासन द्वारा ‘तुलसी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
  29. कृष्ण कुमार पाटिल : गायन और वादन में दक्षता रखने वाले श्री कृष्ण कुमार पाटिल को वर्ष 2003 के ‘छत्तीसगढ़ सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

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