Lesson 6 Memory मेमोरी (Memory)
कम्प्यूटर में मेमोरी का प्रयोग डाटा, प्रोग्राम और अनुदेशों को स्थायी या अस्थायी तौर पर संग्रहित करने के लिए किया जाता है ताकि प्रोसेसिंग के दौरान या बाद में किसी समय आवश्यकतानुसार उनका उपयोग किया जा सके। मेमोरी का प्रयोग प्रोसेसिंग के बाद प्राप्त परिणामों को संग्रहित करने के लिए भी किया जाता है। इस तरह, मेमोरी कम्प्यूटर का एक आवश्यक अंग है। कम्प्यूटर में सूचना तथा अनुदेशों को डिजिटल डाटा के रूप में स्टोर किया जाता है।
प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory) वह मेमोरी यूनिट जो सीधे सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से संपर्क रखता है तथा हर समय कम्प्यूटर से जुड़ा रहता है, प्राथमिक या मुख्य मेमोरी कहलाता है। प्राथमिक मेमोरी अनेक छोटे भागों में बँटी होती है जिन्हें लोकेशन या सेल (Location or Cell) कहते हैं। प्रत्येक लोकेशन में स एक निश्चित बिट (bit) जिसे वर्ड लेंथ कहते हैं, स्टोर की जा सकती है। कम्प्यूटर में वर्ड लेथ 8, 16, 32 या 64 बिट की हो सकती है।
प्राथमिक मेमोरी की गति तीव्र होती है, पर इसकी स्टोरेज क्षमता सीमित तथा कीमत अधिक होती है। प्राथमिक मेमोरी सामान्यतः अस्थायी (Volatile) मेमोरी होता है। कम्प्यूटर को विद्युत सप्लाई बंद हो जाने पर इसमें स्टोर डाटा समाप्त हो जाता है। रजिस्टर, कैश मेमोरी, रॉम (ROM) तथा रैम (RAM) प्राथमिक मेमोरी के उदाहरण हैं। लोकेशन में डाटा संग्रहित करने को लिखना (Write) तथा लोकेशन से डाटा प्राप्त करने को पढ़ना (Read) कहते हैं। प्राथमिक मेमोरी मुख्यतः इलेक्ट्रानिक या सेमीकण्डक्टर मेमोरी होती है। इनमें इंटीग्रेटेड सर्किट (IC-Integrated Circuit) का प्रयोग किया जाता है जो सिलिकन चिप के बने होते हैं। इसके विकास का श्रेय जे. एस. किल्बी को जाता है। सिलिकन चिप मुख्यतः गैलियम आर्सेनाइड के बने होते हैं।
द्वितीयक या सहायक मेमोरी (Secondary or Auxiliary Memory)
द्वितीयक मेमोरी में डाटा और सूचनाओं को बड़ी मात्रा में संग्रहित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह साधारणतः कम्प्यूटर सिस्टम के बाहर स्थित होता है। इसे स्थायी मेमोरी (Permanent Memory) भी कहा जाता है। इसकी स्टोरेज क्षमता लगभग असीमित होती है, परंतु डाटा ट्रांसफर की गति धीमी होती है। इसका प्रयोग मुख्यतः बैकअप डाटा (Backup Data) को स्टोर करने के लिए किया जाता है। सहायक मेमोरी एक स्थायी (Non Valatile) मेमोरी है जिसमें विद्युत सप्लाई बंद हो जाने पर भी डाटा बना रहता है। कम्प्यूटर में डाटा को सेव (Save) करने पर वह सहायक मेमोरी में ही स्टोर होता है। यह डाटा व साफ्टवेयर स्टोरेज का एक सस्ता व लोकप्रिय माध्यम है। इसकी स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है परंतु डाटा को प्राप्त करने में लगा समय (access time) अधिक होता है। मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क (फ्लॉपी डिस्क तथा हार्ड डिस्क) तथा ऑप्टिकल डिस्क (सीडी, डीवीडी तथा ब्लू रे डिस्क) सहायक मेमोरी के उदाहरण हैं।
स्थायी या अस्थायी मेमोरी (Non Volatile or Volatile Memory)
वह मेमोरी यूनिट जिसमें विद्युत सप्लाई बंद हो जाने पर भी डाटा बना रहता है, स्थिर या स्थायी (Non-Volatile) मेमोरी कहलाता है। दूसरी तरफ, जिस मेमोरी यूनिट में विद्युत सप्लाई बंद हो जाने पर संग्रहित डाटा नष्ट हो जाता है, अस्थिर या अस्थायी (Volatile) मेमोरी कहलाता है। सामान्यतः प्राथमिक मेमोरी अस्थायी (Volatile) होता है, जबकि सहायक मेमोरी स्थायी (Non Volatile) मेमोरी होता है। रॉम (Read only memory) इसका अपवाद है जो एक स्थायी प्राथमिक मेमोरी है।
रैंडम या सिक्वेंसियल एक्सेस मेमोरी (Random or Sequential Access Memory) मेमोरी में डाटा अलग-अलग स्थानों (Locations) पर संग्रहित किया जाता है। जिस मेमोरी यूनिट में किसी भी लोकेशन पर संग्रहित डाटा को पढ़ने या डाटा स्टोर करने में एक समान समय लगता है उसे रेंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) कहा जाता है। प्राथमिक या सेमीकंडक्टर मेमोरी सामान्यतः रैंडम एक्सेस मेमोरी ही होते हैं। रजिस्टर, कैश मेमोरी, रॉम (ROM) तथा रैम (RAM) रैंडम एक्सेस मेमोरी के उदाहरण हैं। यदि किसी मेमोरी के डाटा को क्रमानुसार एक के बाद एक कर ही पढ़ा जा सकता है, तो उसे सिक्वेंसियल एक्सेस मेमोरी (Sequential Access Memory) कहते हैं। मैग्नेटिक टेप सिक्वेंसियल एक्सेस मेमोरी का उदाहरण है। मैग्नेटिक डिस्क या ऑप्टिकल डिस्क में किसी भी लोकेशन पर स्थित डाटा को पढ़ने या डाटा स्टोर करने में लगा समय बराबर तो नहीं होता, पर लगभग एक समान होता है। इसमें किसी भी लोकेशन तक सीधे पहुंचा जा सकता है। अतः इन्हें क्षय रैंडम एक्सेस मेमोरी (Pseudo Random Access Memory) या डायरेक्ट का एक्सेस मेमोरी कहा जाता है। फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, सीडी, डीवीडी तथा ब्लू रे डिस्क डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी के उदाहरण हैं।
स्थायी मेमोरी (Non Volatile Memory)
1 रॉम (ROM-Read Only Memory) :
यह एक स्थायी (Non Volatile) इलेक्ट्रानिक मेमोरी है जिसमें संग्रहित डाटा व नय सूचनाएं स्वयं नष्ट नहीं होती हैं तथा उन्हें बदला भी नहीं जा सकता। रॉम में सूचनाएं निर्माण के समय ही भर दी जाती हैं तथा कम्प्यूटर इन्हें केवल पढ़ सकता है, इनमें परिवर्तन नहीं कर सकता। इसीलिए, इसे Read Only Memory कहते हैं। रॉम को कम्प्यूटर का Built-in मेमोरी भी कहते हैं। कम्प्यूटर की सप्लाई बंद कर देने पर भी रॉम में सूचनाएं बनी रहती हैं। रॉम का निर्माण सेमीकंडक्टर डिवाइस से किया जाता है अतः इसे इलेक्ट्रानिक या सेमीकंडक्टर मेमोरी भी कहा जाता है। रॉम का प्रयोग स्थायी प्रकृति के प्रोग्राम तथा डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। रॉम में कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के लिए आवश्यक सूचना जैसे-Instructions Set तथा System Boot Program स्टोर किया जाता है। रॉम में बायोस (BIOS-Basic Input Output System) होता है जो कम्प्यूटर चालू करने पर पोस्ट (POST- Power on self test) प्रोग्राम चलाता है।
2. प्रॉम (PROM – Programmable Read Only Memory) :
यह एक विशेष प्रकार का रॉम है जिसमें एक विशेष प्रक्रिया द्वारा उपयोगकर्ता के अनुकूल डाटा को प्रोग्राम किया जा सकता है। प्रॉम में हजारों डायोड होते हैं जिन्हें उच्च वोल्टेज से फ्यूज कर वांछित सूचना रिकॉर्ड की जाती है। एक बार प्रोग्राम कर दिए जाने के बाद यह सामान्य रॉम की तरह व्यवहार करता है।
3. ई-प्रॉम (E-PROM- Erasable Programmable Read Only Memory) :
इस प्रकार के रॉम पर पराबैंगनी किरणों (Ultra Violet Rays) की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है। इसके लिए ई-प्रॉम को सर्किट से निकालना पड़ता है। इसे अल्ट्रा वायलेट ई-पॉम (Ultra Violet EPROM) भी कहते हैं।
4. ईईप्रॉम (EEPROM-Electrically Erasable Programmable Read Only Memory) :
इस तरह के रॉम को सर्किट से निकाले बिना इस पर उच्च विद्युत विभव की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है। इसका उपयोग मुख्यतः अनुसंधान में किया जाता है। वर्तमान में, सहायक मेमोरी के रूप में ई ई प्रॉम का उपयोग बढ़ रहा है। इसे फ्लैश मेमोरी (Flash Memory) भी कहा जाता है। पेन ड्राइव (Pen Drive) इसका अच्छा उदाहरण है। इस प्रकार के इलेक्ट्रानिक मेमोरी का प्रयोग अनेक आधुनिक युक्तियों जैसे- डिजिटल कैमरा, लैपटाप, स्मार्टफोन, मोबाइल फोन आदि में किया जा रहा है। यह एक सस्ती युक्ति है तथा इसमें विषम परिस्थितियों में भी डाटा को सुरक्षित रखने की क्षमता है। फ्लैश मेमोरी एक पोर्टेबल सेमीकंडक्टर मेमोरी है जिसमें रॉम तथा रैम दोनों की विशेषताएं मौजूद हैं।
5. रैम (RAM – Random Access Memory) :
रैम माइक्रोचिप से बना एक तीव्र सेमी कंडक्टर मेमोरी है। इसमें डाटा एक्सेस टाइम डाटा की भौतिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता। तात्पर्य यह कि सूचना रैम में चाहे जहां भी स्थित हो, उसे पढ़ने में एक समान समय लगता है। रैण्डम एक्सेस मेमोरी में सूचनाओं को क्रमानुसार न पढ़कर सीधे वांछित सूचना को पढ़ा जा सकता है। यह एक अस्थायी (Volatile) मेमोरी है जहां डाटा और सूचनाओं को अस्थायी तौर रखा जाता है। इसमें संग्रहित सूचनाओं का बदला जा सकता कम्प्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद कर देन पर रम में संग्रहित समाप्त हो जाता है। प्रोसेसिंग से पहले डाटा तथा अनुदेशों सहायक मेमोरी से लाकर रैम में स्टोर किया जाता है। सीपीय ही डाटा प्राप्त करता है। प्रोसेस के बाद अंतिम तथा अंतरिम परिश को भी अस्थायी रूप से रैम में स्टोर किया जाता है। इसी कार RAM को कम्प्यूटर की Working memory कहा जाता है। आजकल, बाजार में उपलब्ध रैम का क्षमता GB (Gigabyta) में मापी जाती है। मदरबोर्ड के खाली स्लॉट्स (Slots) में रैम चिप लगाकर मेमोरी क्षमता बढ़ाया जा सकता है। इन रमाचप्स को मदरबोई पर बने ‘सिम्स’ (SIMMs-Single In-line Memory Modules) में लगाया जाता है। वर्तमान में डिम्स (DIMMs- Dual in-Line Memory Modules) का प्रयोग किया जा रहा है। SIMM जहां 32 बिट मेमोरी है, वहीं DIMM 64 बिट मेमोरी है।। रैम को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है-
(i) डायनमिक रैम (Dynamic RAM)
(ii) स्टैटिक रैम (Static RAM) डायनमिक रैम में डाटा बनाये रखने के लिए उसे एक सेकेण्ड में सेकड़ों बार re-write या refresh करना पड़ता है। जबकि स्टेटिक रेम को बार-बार refresh करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसा कारण, स्टाटक रम म कम्प्यूटर का सप्लाइ बद कर दन पर भी संग्रहित डाटा अगली बार कम्प्यूटर ऑन होने तक सुरक्षित रहता है।
6. कैश मेमोरी (Cache Memory) :
मेमोरी से डाटा प्राप्त करने की गति सीपीयू के डाटा प्रोसेस करने की गति से काफी धीमी होती है। मेमोरी-प्रोसेसर के बीच इस गति अवरोध (Speed Mismatch) को दूर करने के लिए कैश मेमोरी का प्रयोग किया जाता है। यह प्राथमिक मेमोरी और सीपीयू (CPU) के बीच एक अत्यंत तीव्र मेमोरी है जहां बार-बार प्रयोग में आने वाले डाटा आर निर्देशों को संग्रहित किया जाता है। कैश मेमोरी की गति तीव्र होने के कारण प्रोसेसर की गति में वृद्धि होती है। कैश मेमोरी सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है। कैश मेमोरी स सीपीयू तक सूचना लाने-ले जाने के लिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा स्थानान्तरण की गति तेज होती है। कैश मेमोरी सीपीयू तथा मुख्य गेमोरी के बाद बफर (Buffer) का काम करता है। सामान्यतः कम्प्यूटर में प्रयुत कश ममारी का आकार 256 KB (किलो बाइट) से 4 MB (मना बाइट) तक हो सकता है।
क्रमानुसार मेमोरी (Sequential Access Memory):
इसमें वांछित डाटा को क्रमानुसार ही पढ़ा जा सकता है। इस कारण इस मेमोरी से डाटा को पढ़ने में समय अधिक लगता है। इस कारण इसका उपयोग ऐसी जगह किया जाता है, जहां लगभग सभी डाटा को प्रोसेस करने की जरूरत पड़ती है। जैसे- पे रोल (Pay Roll), बिजली का बिल बनाना आदि।
1 मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tape) :
यह क्रमानुसार मेमोरी का उदाहरण है। इसमें एक प्लास्टिक रिबन पर चुम्बकीय पदार्थ (आयरन आक्साइड या क्रोमियम डाई आक्साइड) की परत चढ़ी रहती है जिसे विद्युतीय हेड से प्रभावित कर डाटा स्टोर किया जाता है। मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किए गए डाटा को रिकॉर्ड कहा जाता है। दो अलग-अलग डाटा में अंतर करने के लिए उनके बीच कुछ खाली जगह छोड़ दिया जाता है जिसे Inter Record Gap कहा जाता है। यह बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने हेतु प्रयुक्त होता है। डाटा को कितनी भी बार लिखा और मिटाया तथा पढ़ा जा सकता है। नया डाटा लिखने पर पुराना डाटा स्वयं मिट जाता है। मैग्नेटिक टेप डाटा स्टोर करने का एक सस्ता माध्यम है। अतः इसका प्रयोग विशाल डाटा बैकअप (Backup) लेने के लिए किया जाता है। डाटा बैकअप में उपलब्ध डाटा की एक कॉपी बनाकर सुरक्षित रखा जाता है ताकि किसी कारण मुख्य डाटा के नष्ट होने पर बैकअप डाटा का उपयोग किया जा सके। मैग्नेटिक टेप को पढ़ने के लिए मैग्नेटिक टेप ड्राइव का प्रयोग किया जाता है।
डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी (DirectAccess Memory)
इसमें वांछित सूचना या डाटा को सीधे पढ़ा जा सकता है। इस कारण डाटा को पढ़ने में समय कम लगता है। डायरेक्ट एक्सेसमेमोरी से डाटा पढ़ने में लगा समय डिस्क पर डाटा की स्थिति तथा वर्तमान समय में Read-Write Head की स्थिति पर निर्भर करता है। Read Write Head के डाटा लोकेशन तक पहुंचने में लगने वाला समय अलग-अलग हो सकता है। पर यह समय इतना कम होता है कि किसी भी डाटा को पढ़ने में लगने वाले समय को लगभग समान माना जा सकता है। डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी के उदाहरण हैं- चुम्बकीय डिस्क (फ्लापी तथा हार्ड डिस्क), ऑप्टिकल डिस्क (सीडी रॉम, सीडीआर, सीडीआर/डब्ल्यू, डीवीडी, ब्लू रे डिस्क) फ्लैश ड्राइव तथा मेमोरी कार्ड।
1. चुंबकीय डिस्क (Magnetic Disk) :
यह एक स्थायी (Nonvolatile) डायरेक्ट एक्सेस सहायक मेमोरी है। इसमें धातु या प्लास्टिक से बने पतले डिस्क पर चुंबकीय पदार्थ जैसे- आयरन ऑक्साइड की परत चढ़ा दी जाती है। डिस्क पर डाटा स्टार करने तथा पहले से स्टोर की गई डाटा को पढ़ने के लिए डिस्क ड्राइव (Disk Drive) का प्रयोग किया जाता है। डिस्क ड्राइव में डाटा रिकॉर्ड करने (Write) तथा पढ़ने (Read) के लिए Read- Write head होता है जो डिस्क के चुंबकीय पैटर्न में बदलाव कर डिाजटल डाटा स्टोर करता है। मैग्नेटिक डिस्क एक सस्ता स्टोरेज डिवाइस है, जो बड़ी मात्रा में डाटा स्टोर कर सकता है। इसका एक्सेस टाइम भी कम होता है, परंतु धूल या खरोंच के कारण इसके खराब होने की संभावना भी रहती है। फ्लॉपी डिस्क तथा हार्ड डिस्क मैग्नेटिक डिस्क के उदाहरण हैं।
2. फ्लापी डिस्क (Floppy Disk) :
यह प्लास्टिक का बना वृत्ताकार डिस्क होता है जिस पर चुंबकीय पदार्थ की लेप चढ़ी रहती है। सुरक्षा के लिए इसे प्लास्टिक के वर्गाकार खोल में बंद रखा जाता है। इसके बीच में धातु की बनी गोल धुरी होती है। इसके ऊपरी भाग में लिखने-पढ़ने का खुला स्थान होता है जिसे खिसकने वाले एक ढक्कन से ढका जाता है। इसके निचले कोने पर एक सुरक्षा छिद्र (Write Protect Notch) होता है जिसे बंद कर देने पर फ्लापी के डाटा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। फ्लापी कुछ वृत्ताकार पथों में बंटा होता है जिसे ट्रैक (Track) कहते हैं। ट्रैक पुनः सेक्टर (Sector) में बंटा होता है। फ्लापी पर डाटा इसी सेक्टर में लिखा जाता है। प्रत्येक सेक्टर की स्टोरेज क्षमत’ 512 बाइट होती है।
3. हार्ड डिस्क (Hard disk):
हार्ड डिस्ट डिस्क का एक प्रकार है। यह एक स्थायी (Non volatile), एक्सेस तथा सहायक मेमोरी है। इसकी भंडारण क्षमता आधक डाटा स्टोर करने और पढ़ने की गति तेज होती है। किसी कम्प्यूटर का आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर तथा विभिन्न अप्लिकेशन साक्टर हार्ड डिस्क में ही स्टोर किए जाते हैं। हार्ड डिस्क में एल्युमिनियम धातु का बना एक पतला डिस्क होता है जिस पर चुंबकीय पदार्थ जैसे आयरन ऑक्साइड का लेप चढ़ा रहता है। धातु से बने होने के कारण यह लोचदार नहीं होता, अतः इसे हार्ड डिस्क का नाम दिया जाता है। डिस्क के एक या दोनो सतहों को डाटा स्टोरेज के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
डाटा रिकार्ड करने (Write) या पढ़ने (Read) के लिए प्रत्येक सतह पर अलग-अलग Read-Write head होता है। जिस डिस्क के दोनों सतहों पर डाटा स्टोर किया जाता है उसे Double sided disk कहा जाता है। हार्ड डिस्क में डाटा को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के द्वारा लिखा व पढ़ा जाता है। हार्ड डिस्क के Read-Write head का डिस्क की सतह से भौतिक संपर्क नहीं होता। परंतु डिस्क और हेड के बीच का गैप इतना कम (3 नैनोमीटर तक) होता है कि धूल का छोटा कण भी उसमें फंस सकता है जिससे डाटा पढ़ना संभव नहीं होता। इसे हार्ड डिस्क क्रैश (Crash) करना कहा जाता है। मैग्नेटिक डिस्क की सतह को अनेक संकेन्द्रित वृत्तों (Cocentric Circles) में बांटा जाता है जिसे ट्रैक (Track) कहते हैं। इन टैक्स को पनः सेक्टर (Sector) में बांटा जाता है। सेक्टर डाटा स्टोर करने की सबसे छोटी इकाई है। एक सेक्टर की स्टोरेज क्षमता 512 बाइट होती है।
मैग्नेटिक डिस्क पैक की कुल स्टोरेज क्षमता गीगाबाक्ट (GB-Giga Bite) में होती है। मैग्नेटिक डिस्क पर डाटा लिखने से पहले प्रत्येक टैक, टर सेक्टर को एक विशेष ऐड्रेस (address) दिया जाता है। इस्तेमाल से पर पूर्व प्रत्येक डिस्क को डाटा भंडारण के लिए व्यवस्थित किया जा जिसे डिस्क फारमेटिंग (Disc Formatting) कहते हैं। डिस्क फारमेटिंग द्वारा मेमोरी डिस्क पर सेक्टर व ट्रैक के लोकेशन के बारे में एक टेबल बना लिया जाता है जिसे File Allocation Table (FAT) कहते हैं। इससे भविष्य में डाटा प्राप्त करने में कम समय लगता है।
4. विंचेस्टर डिस्क (Winchester Disk) : हार्ड डिस्क को डिस्क पैक के आधार पर जिप डिस्क, डिस्क पैक तथा विंचेस्टर डिस्क में बांटा जाता है। विंचेस्टर डिस्क में दो या अधिक हार्ड डिस्क प्लैटर को एक केंद्रीय शाफ्ट के सहारे एक के ऊपर एक स्थापित किया जाता है। इस डिस्क पैक को उसके एक्सिस पर घुमाने के लिए मोटर लगा रहता है। हार्ड डिस्क के प्रत्येक सतह के लिए एक अलग Read-Write head होता है। Read Write head आगे पीछे होकर प्रत्येक टैक तक जा सकता है जबकि डिस्क को गोलाकार घुमाकर का किसी ट्रैक के वांछित सेक्टर को Read Write head के नीचे लाया जाता है। इस डिस्क पैक को डिस्क ड्राइव के साथ सील (Seal) कर दिया जाता है। विचेस्टर डिस्क को सील बंद डिब्बे में पैक कर देने के कारण- डिस्क के धूल, खरोंच या नमी के कारण खराब होने की संभावना नहीं रहती। इसके सबसे ऊपरी तथा सबसे निचली सतह को भी डाटा स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। पैक होने के कारण डिस्क की स्टोरेज क्षमता सीमित (Limited) हो जाती है। ड्राइव या Read-Write head खराब होने पर डाटा को पुनः प्राप्त कर पाना संभव नहीं होता। अतः विंचेस्टर डिस्क के साथ डाटा बैकअप रखने का सुझाव दिया जाता है। वर्तमान में पर्सनल कम्प्यटर के साथ प्रयुक्त हार्ड डिस्क विंचेस्टर डिस्क का उदाहरण है। कम्प्यूटर में लगे हार्ड डिस्क को ‘C’ ड्राइव का नाम दिया जाता है। इसमें आवश्यक साफ्टवेयर प्रोग्राम तथा डाटा स्टोर किया जाता है। 5. चुंबकीय डिस्क का एक्सेस ाइम (Access time of Magnetic Disk) : प्रोसेस के दौरान कम्प्यूटर को विभिन्न डाटा की आवश्यकता पड़ती है। डाटा की आवश्यकता पड़ने पर सीपीयू उसे मेमोरी से प्राप्त करने का निर्देश देता है। सीपीय द्वारा डाटा प्राप्त करने का निर्देश दिए जाने के बाद वास्तव में डाटा को सीपीयू मेमोरी में उपलब्ध होने में लगा समय एक्सेस टाइम (Access Time) कहलाता है। दूसरे शब्दों में, डाटा को सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी में लाने में लगा कुल समय एक्सेस टाइम कहलाता है। किसी डाटा को मेमोरी में ढूंढकर कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करना डाटा रिट्रीवल (Data Retrieval) कहलाता है।
6. प्रकाशीय या आप्टिकल डिस्क (Optical Disk):
आप्टिकल डिस्क पॉली कार्बोनेंट प्लास्टिक से बना गोल डिस्क है जिसकी एक सतह को प्रकाश परावर्तित करने के लिए एल्युमिनियम की पतली परत चढ़ाकर चमकदार बनाया जाता है। आप्टिकल डिस्क पर डाटा लिखने या पढने के लिए लेजर बीम का प्रयोग होता है, अतः इसे लेजर डिस्क (Laser Disk) भी कहते हैं। आप्टिकल डिस्क में ट्रैक संकेन्द्रित वृत्तों में न होकर बाहर से अंदर की ओर एक सर्पिलाकार (Spiral) आकार में होता है। इन ट्रैक्स को समान आकार वाले सेक्टर में विभाजित किया जाता है। सर्पिलाकार ट्रैक के कारण आप्टिकल डिस्क का एक्सेस टाइम मैग्नेटिक डिस्क से अधिक होता है, अर्थात डाटा को पढ़ने में अधिक समय लगता है। परंतु यह डाटा की बड़ी मात्रा को क्रमानुसार पढ़ने या लिखने के लिए उपयुक्त होता है। इसी कारण, आप्टिकल डिस्क ऑडियो, वीडियो, मल्टीमीडिया अप्लिकेशन तथा साफ्टवेयर प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। आप्टिकल डिस्क में डाटा को पिट्स (Pits) और लैंड्स (Lands) में स्टोर किया जाता है। डिस्क पर डाटा लिखने के लिए उच्च क्षमता वाले लेजर बीम का प्रयोग किया जाता है, जिससे डिस्क की सतह पर अति सूक्ष्म गढ्ढे बन जाते हैं जिन्हें Pits कहा जाता है। गढ्ढों के बीच स्थित समतल क्षेत्र को Lands कहा जाता है। Pits बाइनरी डिजिट 0 या ऑफ को निरूपित करते हैं तथा Lands बाइनरी डिजिट 1 या ऑन को निरूपित करते हैं। डिस्क पर कम तीव्रता वाले लेजर बीम डालकर परावर्तित किरणों के आधार पर डाटा को पढ़ा जाता है। कम्पैक्ट डिस्क (CD), डीवीडी (DVD) तथा ब्लू रे डिस्क (Blue-ray disk) आप्टिकल डिस्क के उदाहरण हैं। आप्टिकल डिस्क को आप्टिकल डिस्क ड्राइव में डालकर लिखा या पढ़ा जाता है। आप्टिकल डिस्क ड्राइव में डिस्क रखने के लिए डिस्क ट्रे, डाटा पढ़ने या लिखने के लिए सेमीकंडक्टर लेजर बीम, फोटो डायोड तथा लेंस होता है। डिस्क को मोटर के जरिए अपनी धुरी पर घुमाया जाता है। आप्टिकल डिस्क में लेजर बीम के प्रयोग के कारण इसका Read-Write head डिस्क के भौतिक संपर्क में नहीं रहता। आप्टिकल डिस्क के प्रयोग के लाभ हैं- कम लागत में अधिक स्टोरेज क्षमता। डाटा को लंबे समय (लगभग 30 वर्ष) तक स्टोर किया जा सकता है। डाटा के परिवर्तित होने या मिटने की संभावना कम होती Read write head का डिस्क से भौतिक संपर्क न होने के कारण डिस्क के घिसने की संभावना कम रहती है। डिस्क द्वारा डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है। आप्टिकल डिस्क की कमियां हैं- धूल, मिट्टी, अंगुली के छाप आदि से डिस्क के खराब होने की संभावना बनी रहती है। सामान्य डिस्क को एक बार डाटा लिखे जाने के बाद उसमें परिवर्तन करने या दूसरा डाटा स्टोर करने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।
a.सीडी रॉम (CD-ROM-Compact Disk-Read Only Memory) :
यह आप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है। आजकल कम्प्यूटर साफ्टवेयर, वृहद डाटा, ऑडियो तथा वीडियो फाइल आदि स्टोर करने के लिए इसका भरपूर उपयोग किया जा रहा है। सीडी रॉम में डाटा निर्माता द्वारा फैक्ट्री में ही स्टोर कर दिया जाता है जिसे बाद में बदला नहीं जा सकता। सीडी रॉम (CD ROM) से डाटा को बार-बार Read किया जा सकता है पर नया डाटा स्टोर (Write) नहीं किया जा सकता। सीडी रॉम से डाटा पढ़ने के लिए इंफ्रारेड लेजर बीम (InfraRed Laser Beam) का प्रयोग होता है। प्रचलित सीडी रॉम का व्यास (diameter) 120 mm तथा मोटाई 1.2mm होता है। इसकी स्टोरेज क्षमता लगभग 700 MB (Mega Byte) होती है जिसमें लगभग 80 मिनट का वीडियो डाटा स्टोर किया जा सकता है। सीडी रॉम को सीडी ड्राइव (CD Drive) की सहायता से पढ़ा जाता है जिस पर Read head बना रहता है। डिस्क को गोल घुमाने के लिए मोटर का प्रयोग होता है। सीडी ड्राइव की गति को एक संख्या और ‘x’ से निरूपित करते हैं, जैसे- 1x. 8X, 52X, 72X आदि। यह डिस्क से डाटा ट्रांसफर की गति को बतलाता है। डाटा ट्रांसफर की गति को बढ़ाने के लिए डिस्क को अपनी धूरी पर तेज गति से घुमाना पड़ता है।
b. सीडी-आर (CD-Recordable) :
यह सामान्य काम्पैक्ट डिस्क की तरह आप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है जिसमें सीडीआर ड्राइव (Compact Disc-Recordable Drive) की सहायता से कम्प्यूटर द्वारा डाटा स्टोर किया जा सकता है। इसे WORM (Write Once, Read Many) डिस्क कहा जाता है जिस पर केवल एक बार लिखा जा सकता है जबकि बार-बार पढ़ा जा सकता है। एक बार लिखे जाने के बाद डाटा बदला नहीं जा सकता। लेकिन किसी सीडी-आर के बाकी बचे सतहों पर डाटा को अलग-अलग समय में रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसका प्रयोग संगीत व चलचित्र (Music and Video) सीडी तैयार करने तथा डाटा बैकअप रखने के लिए किया जाता है।
c.सीडी-आर/डब्ल्यू (CD-Re-Writable) :
सीडी- आर डब्ल्यू एक सामान्य सीडी की तरह दिखता है तथा आप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है। इस तरह के डिस्क पर धातु की एक परत होती है। इसके रासायनिक गुणों में परिवर्तन कर इस पर बार -बार लिखा और पढ़ा जा सकता है। इसके लिए विशेष सीडी-आर/डब्लू ड्राइव (CD-R/W Drive) की जरूरत पड़ती है।
d. डीवीडी (DVD-Digital Versatile/Video Disk):
डीवीडी आप्टिकल डिस्क का एक उदाहरण है। यह सीडी रॉम की तरह ही होता है, पर इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है। आरंभ में इसका प्रयोग चलचित्रों (Movies) के लिए किया गया। ध्वनि के लिए इसमें डाल्बी डिजिटल (Dolby Digital) या डिजिटल थियेटर सिस्टम (DTS-Digital Theater System) का प्रयोग किया जाता है। डीवीडी में ऑडियो तथा वीडियो डाटा स्टोर करने के लिए MPEG (Moving Picture Expert Group) वीडियो फार्मेट का प्रयोग किया जाता है। इसमें डाटा के दो लेयर संग्रहित किये जा सकते हैं। एकल लेयर डिस्क की क्षमता 4.7GB तथा दो लेयर डिस्क की क्षमता 8.5GB होती है। डीवीडी के दोनों सतहों को डाटा स्टोर लिए उपयोग किया जा सकता है। ऐसा करने पर डीवीडी की क्षमता दुगुनी हो जाती है। आजकल रिकार्ड करने योग्य डीवीही. प्रयोग किया जा रहा है जिस डीवाडा-आर (DVD-Recons) कहा जाता है। डीवीडी ड्राइव डाटा पढ़न के लिए लाल रंग के बीम (Red Laser Beam) का प्रयोग करता है। आजकल एचटी डीवीडी (HD DVD-High Definition/Density DVD) का भी प्रयोग किया जा रहा है जिसकी स्टोरेज क्षमता सामान्य डीवीडी से 3 से 4 गुना अधिक होती है।
e. ब्लू रे डिस्क (Blu Ray Disc) :
यह आप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है जो उच्च स्टोरेज क्षमता के कारण मल्टीमीडिया भंडारण में लोकप्रिय हो रहा है। इसको पढ़ने व लिखने के लिए ब्लू वायलेट लेजर किरणों (Blue Violet Laser Rays) का प्रयोग किया जाता है। इसकी भंडारण क्षमता 25GB (एक लेयर) या 50GB (दो लेयर) हो सकती है। धूल व खरोच से इसके खराब होने का डर भी कम रहता है। ब्लू रे डिस्क का आकार सामान्य सीडी या डीवीडी की तरह ही होता है। ब्लू रे डिस्क हाई डेफिनीशन (HD-High Definition) वीडियो का समर्थन करता है।
f. पेन ड्राइव (Pen Drive) :
इसे फ्लैश ड्राइव (Flash) भी कहा जाता है। यह पेन के आकार का इलेक्ट्रानिक मेमोरी है जिसे लगा ‘लगाओ और खेलो’ (Plug and Play) डिवाइस की तरह बी पोर्ट (Universal Serial Bus Port) में लगाकर डाटा यहित, परिवर्तित या पढ़ा जा सकता है। वास्तव में, यह ई ई प्रॉम का एक रूप है। यह स्थाया (Non Volatile) प्रकार का द्वितीयक मेमोरी का एक उदाहरण है जिसे कम्प्यूटर से हटा लेने पर भी डाटाबना रहता है। यूएसबी फ्लैश ड्राइव आकार में इतना छोटा होता है कि इसे आसानी से जेब में रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। इसी कारण इसे पेन ड्राइव कहते हैं। इसमें पुराने डाटा को मिटाकर नया डाटा बार-बार स्टोर किया जा सकता है (Rewritable) यह इलेक्ट्रानिक मेमोरी है, अतः इसमें कोई गतिमान पुर्जा नहीं होता जिससे इसके घिसने और टूटने का खतरा नहीं रहता तथा यह झटके (Mechanical Shock) से भी सुरक्षित रहता है। मैग्नेटिक डिस्क की तरह पेन ड्राइव पर चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Induction) का कोई प्रभाव नहीं होता। इसे धूल और खरोंच से खराब होने का कोई खतरा भी नहीं होता। इसे यूएसबी (USB) पोर्ट से आसानी से जोड़ा और अलग किया जा सकता है। पेन ड्राइव की स्टोरेज क्षमता गीगा बाइट (GB) तक हो सकती है। इसके डाटा ट्रांसफर की गति भी तेज होती है तथा डाटा 10 वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है। आजकल पेन ड्राइव का उपयोग डाटा और साफ्टवेयर स्टोर करने, बैकअप बनाने तथा डिजिटल फाइल स्थानान्तरण के लिए किया जा रहा है। पेन ड्राइव में लगे USB कनक्टर की सरक्षा के लिए प्लास्टिक कवर लगा हाता हा पन ड्राइव को किसी बाहरी ऊर्जा (External Power Supply) तथा किसी विशेष ड्राइव या साफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं होती। कम्प्यूटर इसे स्वयं एक एक्सटरनल स्टोरेज डिवाइस के रूप में पढ़कर जरूरी साफ्टवेयर इंस्टाल कर लेता है। कुछ पेन ड्राइव में Read-Write Indicator एलईडी तथा गलती से डाटा मिटने से बचाने के लिए Write Protect Tab भी लगा होता है।
g. मेमोरी कार्ड (Memory Card) :
यह पतले आकार वाटा कार्ड जैसा इलेक्टानिक मेमोरी डिवाइस है जिसका प्रयोग यूटर के अलावा अन्य आधनिक उपकरणों जैसे-मोबाइल फान, डिजिटल कैमरा, पीडीए, पामटॉप, स्मार्टफोन आदि में किया जा रहा है। इसे मल्टीमीडिया कार्ड (Multimedia Card-MMC) भी जाता है। इसका उपयोग Removeable Storage Device के रूप में प्रचलित हो रहा है।
h. फ्लैश मेमोरी (Flash Memory) :
यह एक स्थायी (Non Volatile) इलेक्ट्रानिक मेमोरी है जिसमें विद्युत द्वारा पुराने डाटा या प्रोग्राम को हटाकर नया डाटा या प्रोग्राम लिखा जा सकता है। यह EE PROM का एक उदाहरण है। फ्लैश मेमोरी से सप्लाई हटा लेने के बाद भी डाटा बना रहता है। इसकी गति क्षमता उच्च है। वर्तमान में मेमोरी कार्ड के रूप में इसका प्रयोग प्रचलित हो रहा है।
i. स्मार्ट कार्ड (Smart Card) :
इसे Chip Card या Integrated Circuit Card भी कहा जाता है। यह एक छोटा प्लास्टिक (Poly Vinyl Chloride) का बना कार्ड है जिसमें स्थायी मेमोरी चिप लगा होता है। कुछ स्मार्ट कार्ड में माइक्रो प्रोसेसर के साथ ई-प्राम (Erasable Programmable ROM) लगा रहता है जिससे डाटा में परिवर्तन भी किया जा सकता है। स्मार्ट कार्ड म SMART CARD ॥ निहित डाटा को स्मार्टकार्ड रीडर के द्वारा पढ़ा जाता है। उपयोग- क्रेडिट कार्ड, एटीएम कार्ड, पहचान कार्ड, सेक्यूरीटी कार्ड आदि।
वर्चुअल मेमोरी (Virtual Memory)
यह मेमोरी प्रबंधन की एक व्यवस्था है जिसमें बड़े साफ्टवेयर प्रोग्राम को मुख्य या प्राथमिक मेमोरी में अंशतः डालकर क्रियान्वित न किया जाता है। किसी भी प्रोग्राम को क्रियान्वित करने से पहले उस प्रोसेस को मेन मेमोरी में डाला जाता है। पर मेन मेमोरी की क्षमता कम होने पर बड़े साफ्टवेयर प्रोग्राम क्रियान्वित नहीं किए जा सकते इस समस्या के समाधान के लिए वर्चुअल मेमोरी प्रबंधन का प्रयोग किया जाता है। वर्चुअल मेमोरी प्रणाली किसी प्रोसेस को पूर्णतः मेन मेमोरी में डाले बिना उसका क्रियान्वयन सक्षम बनाती है। इसमें, केवल उसी प्रोसेस को मेन मेमोरी में डाला जाता है जो प्रोग्राम के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है। प्रोग्राम के उस भाग के निष्पादन के बाद मेन मेमोरी में उपलब्ध प्रोसेस को तेजी से दूसरे प्रोसेस द्वारा बदल दिया जाता है। आपरेटिंग सिस्टम मेमोरी को इस प्रकार प्रबंधित करता है। ताकि उपयोगकर्ता को बड़ी व तीव्र मेमोरी का आभास हो। इस प्रकार, उपयोगकर्ता या प्रोग्रामर के लिए वर्चुअल मेमोरी का आकार असीमित हो जाता है। वर्चुअल मेमोरी हार्ड डिस्क जैसे सहायक मेमोरी में खाली स्थान का उपयोग रैम (RAM) की आभासी क्षमता के बढ़ाने के लिए करता है। ऐसे में वर्चुअल मेमोरी का आकार डिस्क में खाली स्थान पर निर्भर करेगा। वर्चुअल मेमोरी के लाभ- मेन मेमोरी का आकार कम होने पर भी किसी बड़े प्रोग्राम का क्रियान्वयन संभव हो पाता है। प्रोग्रामर को प्रोसेस तैयार करते समय उपलब्ध मेमोरी क्षमता पर ध्यान नहीं देना होता। इससे सीपीयू की उपयोगिता तथा थूपुट बढ़ती है। वर्चुअल मेमोरी के दोष- आपरेटिंग सिस्टम द्वारा बेहतर मेमोरी प्रबंधन की जरूरत पड़ती है। कभी-कभी प्रोग्राम के निष्पादन में समय भी अधिक लगता है।
वृहद स्टोरेज यूनिट (Mass Storage Device) कम्प्यूटर के अनुप्रयोग में वृद्धि होने के कारण विशाल डाटा को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की जरूरत उत्पन्न हुई है। इसके लिए कम लागत तथा असीमित क्षमता वाले वृहद स्टोरेज यूनिट का उपयोग किया जाता है। मास स्टोरेज डिवाइस के उदाहरण हैं-
(i) डिस्क एरे (Disc Array) : यह उच्च क्षमता वाले हार्ड डिस्क प्लैटर का समूह, हार्ड डिस्क ड्राइव तथा निर्धारितसाफ्टवेयर का सेट है जिसे एक डिब्बे में सील बंद कर दिया जाता है। इसे किसी भी कम्प्यूटर के यूएसबी पोर्ट से जोड़कर डाटा स्टोर किया जा सकता है। इसे रेड (RAID-Redon-dent Array of Inexpensive Disc) भी कहा जाता है।
(ii)सीडी रॉम ज्यूक बॉक्स (CD ROM Juke Box) :
CD-ROM डिस्क, CD-ROM ड्राइव तथा निर्धारित साफ्टवेयर का सेट है जिसे एक डिब्बे में सील बद कर दिया जाता है। एक ज्यूक बॉक्स में सैकड़ों सीडी रॉम हो सकते हैं जिससे हमारी स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक हो जाती है। इसका प्रयोग लंबे समय तक डाटा सुरक्षित रखने यानि आकोइव (Archive) के लिए किया जाता है।
बफर (Buffer) :
यह अस्थायी (Volatile) मेमोरी का एक भाग है जिसका उपयाग प्रासासग या इनपुट/आउटपट डिवाइस को देने से पहले डाटा के अस्थायी भंडारण (Temporary Storage) के लिए किया जाता है। दो उपकरणों के बीच डाटा स्थानान्तरण की गति में अंतर रहने पर बफर का उपयोग किया जाता है। आडियो या वीडियो फाइल को चालू करने से पूर्व कुछ डाटा बफर में रख लिया जाता है ताकि इसमें गतिरोध न हो। बफर व कैच (Cache) की कार्य पद्धति व उद्देश्य एक ही हैं। पर कैच की तुलना में बफर का भंडारण अधिक अस्थायी (very temporary) होता है।
स्पूलिंग (Spooling) :
किसी डाक्यूमेंट को प्रिंट करने पर उसे पहले उच्च गति क्षमता वाले प्रिंट बफर में भेजा जाता है। इस कार्य को स्पूलिंग कहा जाता है। स्पूलिंग के बाद प्रिंटर बफर से डाटा लेकर प्रिंट करता है।
कम्प्यूटर मेमोरी का चयन (Selection of Memory for Use):
प्राइमरी या सेमीकंडक्टर मेमोरी जैसे रजिस्टर, कैश मेमोरी, रैम ॥ तथा रॉम आदि तीव्र गति वाली मेमोरी है। परंतु इनकी स्टोरेज क्षमता कम तथा प्रति बिट लागत अधिक होती है। दूसरी तरफ सहायक मेमोरी जैसे मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क (फ्लापी डिस्क तथा हार्ड डिस्क) और आप्टिकल डिस्क (सीडी, डीवीडी, ब्लू रे डिस्क) की स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है तथा प्रति बिट लागत भी कम होती है, परंतु इससे डाटा प्राप्त करने की गति (Access Time) अपेक्षाकृत धीमी होती है। कम्प्यूटर के लिए मेमोरी का चुनाव इस प्रकार किया जाता है कि कम खर्च में महत्तम उपयोगिता प्राप्त की जा सके तथा डाटा प्रोसेस की गति भी धीमी न पड़े।
Important Facts of Computer
➢ मेमोरी में वर्ड लेंथ (Word Length) जितने अधिक बिट का होगा, कम्प्यूटर में डाटा स्थानान्तरण की गति उतनी ही अधिक होगी। अतः किसी मशीन में वर्ड लेंथ बड़ा कर देने पर उसकी गति बढ़ जाती है। वर्ड लेंथ की तुलना सड़क से की जा सकती है। सड़क जितनी चौड़ी होगी, गति उतनी ही अधिक होगी।
➢ रॉम में प्रोग्राम या डाटा को फ्यूज लिंक के जरिये डाला जाता है। एक बार डाटा भर देने पर फ्यूज लिंक को जला दिया जाता है ताकि डाटा को बदला न जा सके। इस कारण रॉम में डाटा डालने को ‘जलाना’ (Burning in the Data) कहते हैं।
➢ कम्प्यूटर प्रोसेस के पश्चात अंतरिम तथा अंतिम (Intermediate and Final) परिणामों को रैम में स्टोर करता है। रैम एक अस्थायी (Volatile) मेमोरी है। अतः कम्प्यूटर के अचानक बंद हो जाने पर जो डाटा सहायक मेमोरी में Save नहीं किया गया होता है, नष्ट हो जाता है। अतः डाटा नष्ट होने से बचाने के लिए हमें समय- समय पर डाटा व परिणामों को Save करते रहना चाहिए।
➢ मैग्नेटिक टेप की भंडारण क्षमता डाटा रिकार्ड करने के घनत्व तथा टेप की लंबाई का गुणनफल होता है। भंडारण क्षमता = डाटा का घनत्व (बाइट प्रति इंच) x टेप की लंबाई।
➢ फ्लापी डिस्क का यह नाम उसके लोचदार (Flexible) प्लास्टिक प्लेट से बने होने के कारण पड़ा है।
➢ FAT (File Allocation Table) विंडोज आपरेटिंग सिस्टम में डिस्क फारमैटिंग का एक तरीका है। हाल के विंडोज आपरेटिंग सिस्टम जैसे- Windows XP तथा Windows 2000 में NTFS New Technology File System) का प्रयोग किया जा रहा है।
➢ ऑप्टिकल डिस्क में डिस्क और रीड/राइट हेड के बीच भौतिक संपर्क न होने के कारण इसके घिसने और खराब होने की संभावना नहीं रहती।
➢ इसमें डाटा 30 वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है पर धूल- मिट्टी और खरोंच (Scratch) से डाटा खराब होने का डर बना रहता है।
➢ 50 GB (गीगा बाइट) डिजिटल डाटा में 9 घंटे का हाई ‘डेफिनीशन वीडियो (High Definition Video) या 23 घंट का ‘स्टेंडर्ड डेफिनीशन वीडियो (Standard Definition Video) स्टोर कर सकते हैं। ➢ फ्लिप फ्लॉप इलेक्ट्रानिक परिपथ से बना एक बाइस्टेबल मल्टीवाइब्रेटर है जो डाटा भंडारण की सबसे छोटी इकाई के रूप में कार्य करता है। यह एक बिट (0 या 1) को अस्थायी रूप से भंडारित कर सकता है.
Lesson-6 Memory
1. सीडी रॉम (CD ROM) का पूर्ण रूप है- (Utt.PCS//2020)
(a) कोर डिस्क रीड ओनली मेमोरी
(b) काम्पैक्ट डिस्क रीड ओनली मेमोरी
(c) सर्वयूलर डिस्क रीड ओनली मेमोरी
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (b)
2. कम्प्यूटर में स्मृति का प्रकार नहीं है- (Utt./Pre/2020)
(a) सेमी कण्डक्टर
(b) मैग्नेटिक
(c) सर्वर
(d) ऑप्टिकल
उत्तर – (c)
4. जब आप पीसी (PC) पर किसी डाक्यूमेंट पर कार्य करते हैं, तो डाक्यूमेंट अस्थायी रूप से कहां स्टोर किया जाता है-
(a) रैम (RAM)
(b) रॉम (ROM)
(c) फ्लैश मेमोरी
(d) सीडी रॉम
(e) सीपीयू
Ans.(a)
5. कम्प्यूटर में RAM का तात्पर्य है—
(a) रीसेन्ट एण्ड एन्सियेंट मेमोरी
(b) रैण्डम एक्सेस मेमोरी
(c) रीड एण्ड मेमोराइज
(d) रिकाल ऑल मेमोरी
उत्तर – (b)
6.Computer हार्डवेयर जो आंकड़ों के बहुत अधिक मात्रा का भण्डारण कर सकता है, कहलाता है- (Utt.PCS/Pre/2003)
(a) चुंबकीय टेप
(b) डिस्क
(c ) a और b दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नही
Ans.(c)
7. Computer हार्डवेयर जो सिलिकन का बना होता है आंकड़ों को बहुत अधिक मात्रा में भण्डारण में रख सकता है. कहलाता है, (UPPCS/Pre/2018)
(b) चिप
(a) डिस्क
(c) मैग्नेटिक टेप
|(d) फाइल्स
उत्तर – (b)
8. पेन ड्राइव है-
(a) इलेक्ट्रानिक मेमोरी
(b) कम्प्यूटर में लिखने की युक्ति
(c) चित्र बनाने की युक्ति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (a)
9. कैश मेमोरी का प्रयोग किया जाता है-
(a) स्थायी भंडारण के लिए
(b) मेमारी व प्रोसेसर के बीच गति अवरोध को दूर करने के लिए
(c) महत्त्वपूर्ण डाटा के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (b)
10. कम्प्यूटर में एक अनुप्रयोग से दसरे अनप्रयोग में सामग्री का अतरण कहलाता है-
(a) डायनेमिक डाटा एक्सचेंज
(b) डायनेमिक डिस्क एक्सचेंज
(c) डॉजी डाटा एक्सचेंज
(d) डॉगमैटिक डाटा एक्सचेंज
उत्तर – (a)
11. पेन ड्राइव है- व्याख्या : कम्प्यूटर में एक अनुप्रयोग से दूसरे अनुप्रयोग में डाटा का हस्तांतरण डायनेमिक डाटा एक्सचेंज (Dynamic Data Exchange) कहलाता है।
(a) एक स्थिर द्वितीय भंडारक इकाई
(b) एक चुंबकीय द्वितीय भंडारक इकाई
(c) एक हटाई जाने वाली द्वितीय भंडारक इकाई
उत्तर – (c)
12. रजिस्टर (Register) उच्च गति स्मृति तत्व हैं, जो स्थित होते है
(a) स्मृति में
(b) सीपीयू में
(c) इनपुट/आउटपुट यूनिट में
(d) ROM या EPROM में
उत्तर – (d)
13. रियूजेबल ऑप्टिकल स्टोरेज का एक्रोनिम है-
(a)CD
(b)CD-RW
(c)DVD
(d) ROM
उत्तर – (b)
14. कम्प्यूटर का बिल्ट इन (Built-in) मेमोरी है-
(a) ROM
(b) PROM
(C) EPROM
(d) RAM
उत्तर – (a)
15. सीडी (CD) पर आप कर सकते हैं-
(a) पढ़ना
(b) लिखना
(c) पढ़ना और लिखना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
16. फाइल को सेव (Save) कर कम्प्यूटर बंद कर देने पर डाटा यथावत रहता है- (SBI/Clk-2021)
(a) रैम में
(b) सेकेण्डरी स्टोरेज में
(c) मदरबोर्ड में
(d) प्राइमरी स्टोरेज में
उत्तर – (b)
17. निम्नलिखित में से कौन सी मेमोरी का सबसे कम एक्सेस समय (access time) है- (MPPCS (P), 2020)
(a) कैश मेमोरी
(b) मैग्नेटिक बबल मेमोरी
(c) मैग्नेटिक कोर मेमोरी
(d) रैंडम एक्सेस मेमोरी
उत्तर – (a)
18. वर्चुअल मेमोरी का आकार निर्भर करता है- IAS 2020
(a) ऐड्रेस लाइन्स पर
(b) डाटा बेस पर
(c) डिस्क स्पेश पर
(d) ये सभी
उत्तर – (c)
19. एक डिवाइस को डाटा और इंसट्रक्शन लोकेट करने और उन्हें सीपीयू को उपलब्ध कराने में लगा समय कहलाता है-
(a) क्लॉक स्पीड
(b) प्रोसेसिंग टाइम
(c) सीपीयू स्पीड
(d) एक्सेस टाइम
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
20. इनमें से सबसे तेज मेमोरी है-
(a) सीडी रॉम (CD ROM)
(b) रैम (RAM)
(c) रजिस्टर (Registers)
(d) कैश (Cache)
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
21. किसी स्टोरेज मीडियम में स्टोर की जा सकने वाली डाटा का अधिकतम मात्रा को कहते हैं-
(a) मैग्नेटिक स्टोरेज
(b) आप्टिकल स्टोरेज
(c) सॉलिड स्टेट स्टोरेज
(d) स्टोरेज क्षमता
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (d)
22. CD-RW का पूरा रूप है-
(a)Compact Drum-Read-write
(b) Compact Diskette-Read write
(c)Compact Disc-Read only then write
(d)Compact Diskette-Random write
(e)Compact Disc-Re writable
उत्तर – (e)
23. जब पॉवर ऑफ या बंद कर दी जाती है, तो यह मेमोरी अपने डाटा या कंटेन्ट खो देती है। इसे कहते हैं-
(a) डायनमिक मेमोरी (b) स्टैटिक मेमोरी
(c) वोलटाइल (Volatile)/अस्थायी मेमोरी
(d) गैर वोलटाइल मेमोरी
(e) दोषपूर्ण मेमोरी
उत्तर – (c)
24. वह डाटा जो मेमोरी में निर्माण के समय ही रिकार्ड किया गया हो और उसे प्रयोक्ता परिवर्तित (Change) या मिटा (erase) नहीं सकता, कहलाता है।
(a) केवल मेमोरी
(b) केवल राइट
(c) केवल रन
(d) नान चेंजबल
(e) केवल रीड (Read only)
उत्तर – (e)
25. रैम (RAM) वोलाटाइल (Volatile) या अस्थायी मेमोरी है
(a) इसे रीड और राइट दोनों के लिए प्रयोग किया जाता है।
(b) इसमें किसी भी लोकेशन को सीधे पढ़ा जा सकता है।
(c) इसमें डाटा बनाये रखने के लिए लगातार पॉवर सप्लाई की जरूरत होती है।
(d) इसमें लगातार पॉवर सप्लाई की जरूरत नहीं होती।
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (c)
26. जब इसमें बिजली बंद हो जाती है तो भी मेमोरी के डाटा या कान्टेन्ट्स नष्ट (गुम) नहीं होते-
(a) रॉम (ROM)
(b) ईपी रॉम (EPROM)
(c) ईईपी रॉम (EEPROM)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (d)
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