किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम 2015 एवं नियम 2016 संशोधन विधेयक 2022

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किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 राज्यसभा में पारित किया गया है। लोकसभा में इसे 24.03.2021 को ही पारित कर दिया गया था।

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Q. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 निम्नलिखित में से किस अधिनियम में संशोधन करना चाहता है? –

A) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2013

B) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2014

C) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015

D) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2016

आंसर – c

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम 2015 एवं नियम 2016

विधि के उल्लंघन के लिए अभिकथित और उल्लंघन करते पाए जाने वाले बालकों और देखरेख तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों से संबंधित विधि का समेकन और संशोधन करने के लिए बालकों के सर्वोत्तम हित में मामलों के न्याय निर्णयन और निपटारे में बालकों के प्रति मित्रवत् दृष्टिकोण अपनाते हुए समुचित देखरेख, संरक्षा, विकास, उपचार, समाज में पुनः मिलाने के माध्यम से उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करते हुए और उपबंधित प्रक्रियाओं तथा इसमें इसके अधीन स्थापित संस्थाओं और निकायों के माध्यम से उनके पुनर्वासन के लिए, तथा उससे संबंधित और उसके आनुषंगिक विषयों के लिए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 बनाया गया जो कि सारे देश में 01 जनवरी 2016 से लागू हो गया । संविधान के अनुच्छेद 15 के खंड (3), अनुच्छेद 39 के खंड (ड) और खंड (च), अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 47 के उपबंधों के अधीन यह सुनिश्चित करने के लिए कि बालकों की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए और उनके मूलभूत मानव अधिकारों की पूर्णतया संरक्षा की जाए, शक्तियां प्रदान की गई हैं और कर्तव्य अधिरोपित किए गए हैं; और, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा द्वारा अंगीकृत, बालकों के अधिकारों से संबंधित अभिसमय को, जिसमें ऐसे मानक विहित किए गए हैं जिनका बालक के सर्वोत्तम हित को प्रारंभ और लागू होना ।

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रमुख तथ्य इस प्रकार है-

(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 है।

(2) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है।

( 3 ) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।

( 4 ) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के उपबंध देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तथा विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों से संबंधित सभी मामलों में लागू होंगे।

2. इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, – ( प्रभाव तथ्य )

(1) ‘परित्यक्त बालक’ से अपने जैविक या दत्तक माता-पिता या संरक्षक द्वारा अभित्यक्त ऐसा बालक अभिप्रेत है जिसे समिति द्वारा सम्यक जांच के पश्चात् परित्यक्त घोषित किया गया है;

(2) ‘दत्तकग्रहण’ से ऐसी प्रक्रिया अभिप्रेत है जिसके माध्यम से दत्तक बालक को उसके जैविक माता-पिता से स्थायी रूप से अलग कर दिया जाता है और वह अपने दत्तक माता-पिता का ऐसे सभी अधिकारों, विशेषाधिकारों और उत्तरदायित्वों सहित, जो किसी जैविक बालक से जुड़े हों, विधिपूर्ण बालक बन जाता है;

(3) ‘दत्तकग्रहण विनियम’ से प्राधिकरण द्वारा विरचित और केन्द्रीय सरकार द्वारा, दत्तकग्रहण के संबंध में अधिसूचित विनियम अभिप्रेत है:

(4) ‘बोर्ड’ से धारा 4 के अधीन गठित किशोर न्याय बोर्ड अभिप्रेत है;

(5) ‘बालक’ से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है;

(6) ‘विधि का उल्लंघन करने वाला बालक’ से ऐसा बालक अभिप्रेत है, जिसके बारे में यह अभिकथन है या पाया गया है कि उसने कोई अपराध किया है और जिसने उस अपराध के किए जाने की तारीख को अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है;

(7) ‘देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक’ से ऐसा बालक अभिप्रेत है-

(i) जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसका कोई घर या निश्चित निवास स्थान नहीं है और जिसके पास जीवन निर्वाह के कोई दृश्यमान साधन नहीं है; या

(ii) जिसके बारे में यह पाया जाता है कि उसने तत्समय प्रवृत श्रम विधियों का उल्लंघन किया है या पथ पर भीख मांगते या वहां रहते पाया जाता है; या

(iii) जो किसी व्यक्ति के साथ रहता है (चाहे वह बालक का संरक्षक हो या नहीं) और ऐसे व्यक्ति ने,- क) बालक को क्षति पहुंचाई है, उसका शोषण किया है, उसके साथ दुर्व्यवहार किया है या उसकी उपेक्षा की है अथवा बालक के संरक्षण के लिए अभिप्रेत तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि का अतिक्रमण किया है; या ख) बालक को मारने, उसे क्षति पहुंचाने, उसका शोषण करने या उसके साथ दुर्व्यवहार करने की धमकी दी है और उस धमकी को कार्यान्वित किए जाने की युक्तियुक्त संभावना है; या (ग) किसी अन्य बालक या बालकों का वध कर दिया है, उसके या उनके साथ दुर्व्यवहार किया है, उसकी या उनकी उपेक्षा या उसका या उनका शोषण किया है और प्रश्नगत बालक का उस व्यक्ति द्वारा वध किए जाने, उसके साथ दुर्व्यवहार, उसका शोषण या उसकी उपेक्षा किए जाने की युक्तियुक्त संभावना है; या

(iv) जो मानसिक रूप से बीमार या मानसिक या शारीरिक ( रूप से असुविधाग्रस्त है या घातक अथवा असाध्य रोग से पीड़ति है, जिसकी सहायता या देखभाल करने वाला कोई नहीं है या जिसके माता-पिता या संरक्षक हैं, किन्तु वे उसकी देखरेख करने में, यदि बोर्ड या समिति द्वारा ऐसा पाया जाए, असमर्थ हैं; या

(v) जिसके माता-पिता अथवा कोई संरक्षक है और ऐसी माता या ऐसे पिता अथवा संरक्षक को बालक की देखरेख करने और उसकी सुरक्षा तथा कल्याण की संरक्षा करने के लिए, समिति या बोर्ड द्वारा अयोग्य या असमर्थ पाया जाता है; या

(vi) जिसके माता-पिता नहीं हैं और कोई भी उसकी देखरेख करने का इच्छुक नहीं है या जिसके माता-पिता ने उसका परित्याग या अभ्यर्पण कर दिया है; या \

(vi) जो गुमशुदा या भागा हुआ बालक है या जिसके माता- पिता, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, युक्तियुक्त जांच के पश्चात् भी नहीं मिल सके हैं; या

(viii) जिसका लैंगिक दुर्व्यवहार या अवैध कार्यों के प्रयोजन के लिए दुर्व्यवहार, प्रपीड़न या शोषण किया गया है या किया जा रहा है या किए जाने की संभावना है; या

(ix) जो असुरक्षित पाया गया है और उसे मादक द्रव्य दुरुपयोग या अवैध व्यापार में सम्मिलित किए जाने की संभावना है: या

(x) जिसका लोकात्मा विरुद्ध अभिलाभों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है या किए जाने की संभावना है; या

(xi) जो किसी सशस्त्र संघर्ष, सिविल उपद्रव या प्राकृतिक आपदा से पीड़ित है या प्रभावित है; या

(xii) जिसको विवाह की आयु प्राप्त करने के पूर्व विवाह का आसन्न जोखिम है और जिसके माता-पिता और कुटुंब के सदस्यों, संरक्षक और अन्य व्यक्तियों के ऐसे विवाह के अनुष्ठापन के लिए उत्तरदायी होने की संभावना है;

(8) ‘बाल गृह’ से राज्य सरकार द्वारा, स्वयं द्वारा या किसी स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन के माध्यम से प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में स्थापित या अनुरक्षित और धारा 50 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उस रूप में रजिस्ट्रीकृत बाल गृह अभिप्रेत है;

( 9 ) ‘बालक न्यायालय’ से बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 को 2006 का 4 अधीन स्थापित कोई न्यायालय या लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के 2012 का 32 अधीन कोई विशेष न्यायालय, जहां कहीं विद्यमान हो, और जहां ऐसे न्यायालयों को अभिहित नहीं किया गया है, वहां इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने की अधिकारिता रखने वाला सेशन न्यायालय अभिप्रेत है;

(10) ‘बालक देखरेख संस्था’ से बालगृह, खुला आश्रय, संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह, सुरक्षित स्थान, विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण और उन बालकों की देखरेख और संरक्षा, जिन्हें ऐसी सेवाओं की आवश्यकता है, करने के लिए इस अधिनियम के अधीन मान्यताप्राप्त कोई उचित सुविधा तंत्र अभिप्रेत है;

(11) ‘अनाथ’ से ऐसा बालक अभिप्रेत है,

(i) जिसके जैविक या दत्तक माता-पिता या विधिक संरक्षक नहीं है; या (ii) जिसका विधिक संरक्षक बालक की देखरेख करने का इच्छुक नहीं है या देखरेख करने में समर्थ नहीं है;

(12) ‘छोटे अपराधों’ के अंतर्गत ऐसे अपराध आते हैं, जिनके लिए भारतीय दंड संहिता या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन अधिकतम दंड तीन मास तक के कारावास का है ।

टीप :- किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अनुपालन में केन्द्र व राज्य शासन द्वारा अनेक प्रावधान के तहत विविध योजनाएँ व कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं जिसका विवरण अध्याय 06 में एकीकृत बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत पढ़ा जा सकता है।

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