छत्तीसगढ़ बस्तर दशहरा सामान्य ज्ञान | Bastar Ka Dussehra GK Question

CGPSC, Vyapam, UPSC EXAM में हर साल पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सामान्य प्रश्न उत्तर

Bastar GK

बस्तर दशहरा जगदलपुर क्यों खास है विश्व प्रसिद्ध बस्तर का दशहरा, 75 दिनों का 

जगदलपुर : बस्तर दशहरा विश्व प्रसिद्ध है. ये दशहरा बिल्कुल अलग और हटकर है, जिसे देखने के लिए लोगों भारत के कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं. 620 साल पुराने 75 दिवसीय बस्तर दशहरे की इस परंपरा को 12 से अधिक अनूठी रस्मों के लिए जाना जाता है. यह रस्में ही अन्य स्थानों पर मनाए जाने वाले दशहरे से अलग है. यही वजह है कि हर साल बस्तर दशहरा अपने अलग और आश्चर्यजनक रस्मों के चलते हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

CGPSC, CG Vyapam में पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सामान्य प्रश्न उत्तर

Bastar Dussehra MCQ Questions

1. ‘बस्तर दशहरा’ एक पारंपरिक भारतीय त्योहार है जो…………दिनों की अवधि में मनाया जाता है। Dehli Police Constable 2021+ CGPSC 2013-14-15-17 

(A) 60

(B) 75

(C) 90

(D) 120

2. ‘बस्तर दशहरा’ में मावली माई के विदाई सम्मान में अंतिम कार्यक्रम को क्या कहा जाता है ?  cg vyapam kshetra rakshak 2021

(A) रैनी जात्रा

(B) धनु कांडेया

(C) गंगा मुंडा जात्रा

(D) मावली परघाव

3. छत्तीसगढ़ में गोंचा पर्व किस माह में मनाया जाता है – आषाढ़ माह में (CG Vyapam 2012) 

4. बस्तर की दीवाली को क्या कहते है  – दियारी (CG Vyapam 2015)

5. बस्तर के दशहरा उत्सव की समाप्ति होती है IMP

(A) मुड़िया दरबार से 

(A) रथयात्रा से 

(A) रावण वध 

(A) श्री रामचंद्र की पूजा से

6. बस्तर में रथयात्रा के पर्व को क्या कहा जाता है  CGPSC 2019

(A) गोंचा पर्व 

(A) नाचा परवाह 

(A) भगोरिया पर्व 

(A) गिद्धा पर्व

7. बस्तर में माटी तिहार कब मनाते हैं CG Vyapam 2018

(A) चैत्र

(A)  असाढ़

(A) भादो 

(A) कार्तिक

8. बस्तर के दशहरा पर्व पर रथ किन के द्वारा खींचा जाता है CGPSC  2016

(A) पंडित द्वारा 

(A) यादव द्वारा 

(A)  स्थानीय आदिवासी द्वारा 

(A) वैश्य समुदाय द्वारा 

9. बस्तर दशहरा का प्रारंभ इनमें से किस देवी की पूजा की जाती है cg  van vibhag 2016

(A) दंतेश्वरी देवी 

(A) महामाया देवी का

(A)  काछिन देवी

(A)  माणिक्य देवी

10. काछन गादी किस पर्व से संबंधित अनुष्ठान हैं CGPSC CMO 2019 

(A) गोंचा

(A)  हरेली

(A) दशहरा

(A) होली

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जिस तरह छत्तीसगढ़ 36 मजबूत किलो से समृद्ध रहा हैं ठीक उसी तरह यह सैकड़ो समृद्ध परम्पराओं से भी ओत प्रोत हैं। छत्तीसगढ़ मे जनजातीय क्षेत्र बस्तर अंचल अपनी विशिष्ट संस्कृति के कारण विश्व पटल पर परिलक्षित होता है। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं विश्व में सबसे लंबे समय तक मनाए जाने वाला बस्तर का दशहरा। यह बस्तर के शासकों की ईष्ट देवी,आदिवासी समाज की उद्धारक तथा समस्त लोकजीवन की अधिष्ठात्री “माता दन्तेश्वरी’ के प्रति ‘सामूहिक कृतज्ञता” का महापर्व है। रावण वध की प्राचीन परंपरा से अलग हटकटर धूम-धाम से मनाए जाने वाला बस्तर का दशहरा पर्व राजकीय संस्कृति और लोक संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण हैं। इसके साथ ही दशहरा सामाजिक समरसता और सहकारिता का सबसे बड़ा उदाहरण है। 75 दिनों तक चलने वाले इस महाउत्सव को मनाने के लिए विभिन्न जातियों के लोग सहयोग करते हैं। साथ ही इस महोत्सव के दौरान विभिन्न विधानों को संपन्न कराने में बस्तर के विभिन्न जातियों की सहभागिता भी होती है। लेकिन प्रमुखतः बस्तर के दशहरा पर्व को पूर्ण हर्ष उल्लास के साथ केवल 13 दिनों तक ही मनाया जाता हैं।

बस्तर दशहरा का इतिहास

बस्तर दशहरे का इतिहास 610 वर्ष पुराना हैं। रथ परंपरा के साथ बस्तर के इस अनूठे दशहरे का शुभारंभ भूतपूर्व चक्रकोट राज्य में हुआ था। बस्तर इतिहास के अनुसार वर्ष 1408 के कुछ समय पश्चात काकतीय वंश के चतुर्थ नरेश पुरुषोत्तम देव ने अपने शासन काल में श्री जगन्नाथपुरी,उड़ीसा की पद यात्रा थी तथा स्वर्ण मुद्रा एवं आभूषणों की भेंट भी अर्पित की थी। जिससे प्रसन्न होकर वहाँ के राजा ने उन्हे रथपति की उपाधि से विभूषित किया था। पुरी से वापस आते ही पुरुषोत्तम देव ने आषाढ़ शुक्लपक्ष द्वितीया को गोंचा पर्व, रथयात्रा की शुरुआत की और तब से ही बस्तर दशहरा का भी प्रारम्भ माना जाता है। 

बस्तर का दशहरा निम्नलिखित विभिन्न रस्मों के साथ बड़ेधूम धाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं

1. पाट जात्रा

इस पर्व पहला विधान पाठ जात्रा होता हैं। जिसे श्रावण अमावस्या अर्थात हरेली अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस विधान में वनसे रथ निर्माण हेतु ठुरलु खोटला व साल वृक्ष लकड़ी लेकर विधि पूर्वक पूजा-पाठ के उपरांत रथ का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाता है। रथ निर्माण के लिए लकड़ी लाने का कार्य अगरवारा कचोरापाटी गाँव के व्यक्ति व रस्सी लाने का कार्य करंजी केशरपाल तथा सोनाबाल के ग्रामीण करते है। इस विधि-विधान को ही पाठ जात्रा कहा जाता हैं।

2 डेरी गड़ाई

पाठ जात्रा के पश्चात भादों शुक्ल द्वादश या तेरस के दिन डेरी गड़ाई रस्म पूरी होती हैं। डेरी.गड़ाई रस्म को स्तंभा रोपड़ भी कहा जाता है। इस रस्म में दंतेश्वरी मंदिर के समीप सिराहासार भवन में बिलोरी के ग्राम वासियों के द्वारा लकड़ी की दो डेरियाँ विधि विधान से पुजा करके स्थापित की जाती हैं।

3. काछिन गादी

इस प्रथा में एक मिरगान जाति की कन्या जिस पर माता का वास होता है को, बेल के काटो की गद्दी में बिठा कर दशहरा निर्विघ्न संचालन हेतु अनुमति मांगी जाती है। इस अवसर पर मोहरी, नगाड़ व धनकुल बाजा (वाद्ययंत्र) बजाया जाता हैं। इसके साथ ही महिलाएं चेला-रेला करके गीत गाती हैं।

4. रैला पूजा

काकतीय नरेश अन्नमदेव की बहन रैला देवी थी, जिन्हें खिलजी शासक आक्रमण करके अपने दरबार में ले जाया गया था। कालांतर में उन्हें छोड़ दिया गया, परन्तु अन्नमदेव ने उनके महल में प्रवेश को वर्जित कर दिया था। जिससे नाराज होकर रैला देवी ने गोदावरी नदी भोपालपटनम, बीजापुर में जल-समाधि ले ली थी। तदनुसार प्रतिवर्ष उनकी श्राद्ध पूजा की प्रथा को आरंभ किया गया। वही श्राद्ध कार्य दशहरा उत्सव में रैला पूजा के नाम से प्रचलित हैं।

5.कलश स्थापना

नवरात्रि के प्रारम्भ पर माता दंतेश्वरी, मावली माता एवं कंकालि मंदिर में बस्तर अंचल के हजारो लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए कलश की स्थापना करते हैं ।

6. जोगी बिठाई

आमाबाल अथवा पराली के हल्वा जाति के उपयुक्त व्यक्ति को एक जोगी क रूप में विराजित किया जाता है। सीरहासार भवन में यहहलबा जोगी दिनो तक अपनी योग साधना में लिन रहता हैं। एक गड्ढे में विराजित जोगी के हृदयस्थल में एक कलश की स्थापना की जाती है। इस दिन 7 मांगुर मछलियों की बली देने की भी विशेष परम्परा है।

Q. जोगी बिठाई की रस्म बस्टर दशहरा में किसे कहा जाता है

(a) मूर्तियों की स्थापना

(b) रथ की ध्वज स्थापना

(c) मंदिर में कलश स्थपना

(d) पुजारी की नियुक्ति

उत्तर – मंदिर में कलश स्थपना

7. रथ परिचालन (गोंचा पर्व)

यह रस्म अश्विन शुक्ल द्वितीया से सप्तमी तक निरन्तर चलती है। इसमें 12 पहिये के रथ को 4 पहिये तथा 8 पहिये के दो रथों में विभाजित कर दिया जाता है तथा रथ का परिचालन करते हैं।

8.निशा जात्रा

निशा जात्रा एक रात्री कालीन पुजा विधान हैं। यहाँ निशा का अर्थ रात्री तथा जात्रा से तात्पर्य पुजा पाठ से लगाया जाता हैं। स्थ परिक्रमा के समापन के पश्चात दुर्गा अष्टमी के दिन निशा जात्रा रस्म किया जाता हैं। इसमे राऊत समाज के लोगों द्वारा बारह कवाड़ों में भोग एवं पूजा सामाग्री लायी जाती है। इसके पश्चात लोगो के घर प्रसाद पहुंचाया जाता है।

9.जोगी उठाई

अश्विन शुक्ल नवमी के दिन जोगी उठाई रस्म पूर्ण की जाती हैं। इस दिन व्रतधारण कर बैठे हुए जोगी को उठाने का रस्म iपूर्ण किया जाता हैं।

10.मावली परघाव

यह रस्म नवमी की रात को मनाया जाता हैं। इसमें माता मावली को दन्तेश्वरी माँ का प्रतीकात्मक रूप हुए चंदन का लेप और फूलों से आच्छादित करके मूर्ति को दंतेवाड़ा से जगदलपुर लाया जाता है। इस अवसर पर पुरुष व महिलाएं ढोल बाजा बजाते हुए गौर-नृत्य करते हैं।

11. भीतर रैनी एवं बाहर रैनी

आठ पहियों वाली रथ को परम्परानुसार चुराकर कुम्हाडाकोट नामक स्थान पर ले जाया जाता है जिसे भीतर रैनी कहा जाता है तथा एकादशी के दिन पुनः रथ को यथा-स्थान प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिसे बाहर रैनी के नाम से जाता है।

12. मुरिया दरबार

मुरिया दरबार का सूत्रपात 08 मार्च 1876 को पहली बार हुआ था। इस दिन सिरहसार भवन में राजा, राज्य का प्रतिनिधि अथवा वर्तमान में अधिकारीगण द्वारा मुरिया दरबार का आयोजन करके जनता की समस्याओं का निराकरण किया जाता है तदोपरांत बस्तर दशहरा की समाप्ती की औपचारिक घोषणा की जाती है।

13. कुटुम्ब जात्रा

बस्तर दशहरा का माहोल समाप्त होने के पश्चात कुटुम्ब जात्रा पुजा विधान का आयोजन किया जाता हैं। इसके तहत दशहरे में विभिन्न प्रांतो से आए सभी देवी देवताओं को विदा किया जाता हैं। कुटुम्ब जात्रा से तात्पर्य देवी देवताओं के पूरे परिवार का एक साथ पूजा-अर्चना करना हैं। बस्तर का यह पर्व आपसी प्रेम व पुरातन संस्कृति के प्रति गहन निष्ठा का प्रतीक हैं। अपनी विशिष्टताओं के कारण बस्तर का दशहरा विभिन्न जाति धर्मों की अपनी लोक संस्कृति का एक ऐतिहासिक उत्सव हैं। 

बस्तर दशहरा के दौरान मुरिया दरबार में शामिल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की महत्वपूर्ण घोषणाएँ 

जगदलपुर स्थित शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय का नामकरण वीर झाड़ा सिरहा के नाम पर 5 (झाड़ा सिरहा 1876 में हुए मुरिया विद्रोह के प्रणेता)  दंतेश्वरी मंदिर में आधुनिक ज्योति कक्ष के निर्माण की घोषणा । 

मुख्यमंत्री ने पिछड़ेपन को पछाड़ने की ललक पुस्तक का किया विमोचन

हाल ही में जगदलपुर में मुरिया दरबार के दौरान बस्तर में है संचालित विकास कार्यों पर आधारित पिछड़े पन को पीछाड़ने की ललक (BASTAR MARCHING AHEAD) पुस्तक का विमोचन किया गया।

प्रमुख बिंदु

इस महोत्सव में विभिन्नर जातियों की भूमिका इस प्रकार हैं

  • बस्तर की यह रियासतकालीन परंपरा 620 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। इसका प्रारंभ काकतीयवंशीय शासक पुरुषोत्तमदेव (1408 से 1439 ई.) ने किया था।
  • रथ निर्माण हेतु जंगल से लकड़ी लाने के लिए अगरवारा कचोरापाटी और रायकेरा परगना के आदिवासी निश्चित हैं। 
  • दशहरा के विशालकाय रथ का निर्माण कार्य झार उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के बढ़ई तथा लुहार मिलकर करते हैं।
  • काछनगादी कार्यक्रम (बस्तर दशहरे का प्रथम चरण) का दायित्व बस्तर अंचल के मिरगान जाति के लोग पूरा करते हैं।
  • जोगी बिठाई परंपरा आमाबाल और पराली गांव के हल्बा जाति के लोग निभाते हैं।
  • रथ खींचने वाली मोटी रस्सी का निर्माण करंजी, केसरपाल और सोनाबाल गांव के आदिवासी द्वारा किया जाता हैं।
  • निशाजात्रा की शाम प्रसाद तैयार करने का कार्य एरंडवाल सहित पांच गांवों के राऊत करते हैं। 
  • चार पहियों वाले फूल रथ को कचोरापाटी और अगरवारा परगना के ग्रामीण खींचते हैं,  वहीं आठ पहियों वाले विजय रथ को किलेपाल क्षेत्र के माड़िया खींचते हैं।
  • भीतर रैनी और बाहर रैनी कार्यक्रम में भतरा जाति के नौ जवान हिस्सा लेते हैं।

जिला बस्तर सामान्य ज्ञान

उपनाम – साल वनों का द्वीप एवं जनजातियों की भूमि – 1948

जिला गठन – 1948

जिला मुख्यालय – जगदलपुर 

सीमावर्ती जिले – कोंडागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा एवं सुकमा। 

(4) सीमावर्ती राज्य – ओडिशा 

तहसील  (7) – 1. बस्तर 2 जगदलपुर ३ दरभा 4 तोकापाल 5 बास्तानार 6 लोहण्डीगुड़ा 7. बकावण्ड

विकासखंड 7– 1. बस्तर 2 जगदलपुर ३ दरभा 4 तोकापाल 5 बास्तानार 6 लोहण्डीगुड़ा 7. बकावण्ड

(1) नगर निगम  –  जगदलपुर 

(3) विधानसभा क्षेत्र – – 1.बस्तर (ST) 2. चित्रकोट (ST) 3. जगदलपुर

(1) लोकसमा क्षेत्र – बस्तर  st

जनजाति  – बस्तर (ST) परजा, धुरवा, मुरिया – 

 जनजाति राष्ट्रीय राजमार्ग – 1. N11-30 (कवर्धा-बेमेतरा-रायपुर-धमतरी-कांकेर-कोंडागांव-वस्तर-सुकमा)

2. NH-63 (बीजापुर-दंतेवाड़ा-जगदलपुर (बस्तर)-विशाखापट्टनम) 

हवाई अड्डा – माँ दंतेश्वरी हवाई अड्डा , जगदलपुर – 

शिक्षा 

1. महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर (2008)

2. गुण्डापुर कृषि महाविद्यालय, जगदलपुर 

3. स्वर्गीय बलीराम कश्यप शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, जगदलपुर 

4. वीर झाड़ा सिरहा शासकीय तकनीकी महाविद्यालय, जगदलपुर 

खनिज

  • 1. हीरा – तोकापाल 
  • 2. बॉक्साइड – आसना, तारापुर, कुदारवाही 
  • 3. अभ्रक – दरभाघाटी 
  • 4. डोलोमाइट – तिरिया, मचकोट, जीरागांव, डोकरी पखना नोट – कोयला का निक्षेप नहीं है।

– नगरनार इस्पात संयंत्र नगरनार, बस्तर (NMDC द्वारा संचालित) – धुरागांव, कलचा

हवाई अड्डा . शिक्षा

• उद्योग . औद्योगिक क्षेत्र 

मिट्टियां – बस्तर के ढलानों में पाई जाने वाली मिट्टियों को टिकरा कहते है।  उच्च से निम्न की ओर मिट्टियों का क्रम (उत्तर से दक्षिण की ओर) –

मरहान > टिकरा> माल/बाड़ी> गभार 

प्रमुख नदियां

  • 1. शबरी नदी – बस्तर जिले के पूर्वी भाग में बहती है। 
  • 2. इन्द्रावती नदी – बस्तर जिले के उत्तरी भाग में बहती है। 
  • 3. कांगेर नदी – यह शबरी की एक सहायक नदी है जिसके दोनों तरफ निर्मित घाटी को कांगेर घाटी के नाम से जानते हैं।  – इस नदी पर भैसादरहा के समीप मगरमच्छ पाये जाते हैं। 
  • 4. मुनगाबहार नदी- यह कांगर नदी की सहायक नदी है जिसमें तीरथगढ़ जलप्रपात स्थित है। 

सिंचाई परियोजना  – झीरम नदी व्यपवर्तन (झीरम नदी पर), कोसारटेड़ा (इन्द्रावती पर)

जलप्रपात –

  • 1. चित्रकोट जलप्रपात – इन्द्रावती नदी पर स्थित है। -छ.ग का सबसे बड़ा/चौड़ा जलप्रपात। – भारत का नियाग्रा जलप्रपात कहा जाता है। – मौसम के अनुसार पानी का रंग बदलते रहता है। 
  • 2. तीरथगढ़ जलप्रपात  – यह कई खण्डों में गिरती है। – मुनगाबहार नदी पर कांगेर घाटी क्षेत्र में स्थित है। 
  • 3. तामड़ा घूमर – विनताघाटी में स्थित है। 
  • 4. चित्रधारा जलप्रपात 
  • 5. महादेव घूमर जलप्रपात 
  • 6. मड़वा जलप्रपात – मौलीभाटा गांव के समीप निर्मित है।

राष्ट्रीय उद्यान – कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान स्थापना – 1982

विस्तार – तीरथगढ़ जलप्रपात से ओडिशा सीमा रेखा तक।

क्षेत्रफल – 200Km (प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान)

छग. की राजकीय पक्षी – पहाड़ी मैना का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। 

एशिया का सर्वप्रथम बॉयोस्फीयर रिजर्व घोषित (1982 से 1985 तक) किया गया था जो वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है।

भैंसादरहा – प्राकृतिक/ नैसर्गिक रूप से मगरमच्छों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। (कांगेर नदी में स्थित है)

गुफाएं – 

  • 1. कुटुमसर की गुफा 
  • 2. कैलाश गुफा 
  • 3. कांगेर करपन गुफा
  • 4. दण्डक गुफा 
  • 5. देवगिरी गुफा
  • 6. शीत गुफा 
  • 7. अरण्यक गुफा

घाटी

1. दरभाघाटी – अनक खनिज पाया जाता है। 

2. विनताघाटी – तामड़ाघूमर जलप्रपात  विनताघाटी को बस्तर का कश्मीर कहा जाता है। – यह दण्डकारण्य का सबसे सुन्दर घाटी है। 

3. कांगेर घाटी – कांगेर नदी, कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान, कुटुमसर की गुफा।

परचनपाल + सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र

. बस्तर – बस्तर रियासत के राजा काकतीय वंशीय थे।

काकतीय राजाओं की तीसरी राजधानी (प्रथम राजधानी-मंघोता) 14 देशी रियासतों में सबसे बड़ी रियासत थी। रियासत के विलय पत्र पर प्रवीरचन्द्र भंजदेव ने हस्ताक्षर किया है। छत्तीसगढ़ में बुनियादी बीज गुणन और प्रशिक्षण केन्द्र, केन्द्रीय रेशम बोर्ड रेशम केन्द्र स्थित है।

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