मध्यप्रदेश धर्म सामान्य ज्ञान Madhya Pradesh Religion GK IN HINDI

मध्यप्रदेश धर्म GK IN HINDI Competitive Exams in Madhya Pradesh

2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में 90.9% लोग हिंदू धर्म को मानते हैं, जबकि अन्य में मुस्लिम (6.6%), जैन(1%), }}ईसाई (0.3%), बौद्ध (0.3%), और सिख (0.2%) आदि आते है। प्रदेश के कई शहर अपनी धार्मिक आस्था के केंद्र के लिए जाने जाते रहे हैं। जिनमे से सबसे प्रमुख उज्जैन शहर हैं, जोकि भारत के सबसे प्राचीन शहरो में से एक हैं। यहाँ 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।

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 शहर में बहने वाली शिप्रा नदी के किनारे प्रसिध्द कुम्भ मेला लगता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के तट पर बसा ओम्कारेश्वर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्मो के कई धार्मिक केंद्र प्रदेश में उपस्थित हैं। भोपाल का ताज-उल-मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है।

बडवानी का बावनगजा,दमोह का कुण्डलपुर,दतिया का सोनागिरी,अशोकनगर का निसईजी मल्हारगढ़,बैतूल की मुक्तागिरी जैन धर्मालंबियोंं हेतु प्रसिद्ध है। विदिशा नगरी दशवें तीर्थेंकर भगवान शीतलनाथ की गर्भ जन्म व तप कल्याणक की भूमि है। बुंदेलखंड में दिगंबर जैन एवं मालवा में श्वेतांबर जैन बहूलता से पाये जाते हैं। बुंदेलखंड में दिगंबर जैन समुदाय का एक पंथ और स्थापित हुआ जो तारण पंथ कहलाता है।

 वही साँची में स्थित साँची का स्तूप, बौध्द के लिए केंद्र हैं। मैहर जो कि सतना जिले के अंतर्गत आता है माँ शारदा जो बुद्धि एवं विद्या की दायिनी है त्रिकूट पर्वत पर माँ का भव्य मंदिर है जो भारत के 12 शक्तिपीठ में से एक है। दतिया में स्थित माँ पीतांबरा का मंदिर विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है ऐसी मंदिर में माँ धूमावती की भी स्थापना है।

होशंगावाद का सेठानी घाट, देवास जिले नेमावर में सिद्धनाथ महादेव, हरदा जिले के हंडिया में कुबेर के द्वारा पूजित रिद्धनाथ महादेव आदि नर्मदा के तट पर विशेष स्थान है इसके साथ ही माँ नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक बहुत ही प्रसिद्द स्थान है। रीवा जिले के देउर कोठार में लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष प्राचीन शैलचित्रों की श्रृंखला मौजूद है। यह वर्ष 1982 में प्रकाश में आए थे। ये स्तूप सम्राट अशोक के शासनकाल में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के निर्मित हैं। 

देउर कोठार नामक स्थान, रीवा-इलाहाबाद मार्ग एचएन-27 पर सोहागी पहाड़ से पहले कटरा कस्बे के समीप स्थित है। यहां मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने 3 बड़े स्तूप और लगभग 46 पत्थरों के छोटे स्तूप बने है। अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया।

उर कोठार के बौद्ध स्तूपों का समूह सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप समूह है जिसमें पहला बौद्ध स्तूप ईंटों द्वारा बनाया गया था। एक मौर्यकालीन स्तम्भ भी है जिसमें एक शिलालेख भी है जिसकी शुरुआत भगवतोष् से होती है। यहां पर खुदाई के दौरान मौर्य कालीन ब्राही लेख के अभिलेख, शिलापट्ट स्तंभ और पात्रखंड भी प्राप्त हुए हैं। 

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