head मध्यप्रदेश मुगल काल जीके MP Mughal kaal Samanya Gyan
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मध्यप्रदेश मुगल काल जीके

Madhya Pradesh Mughal kaal Samanya Gyan IN HINDI

मराठों के उत्कर्ष और ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के साथ मध्यप्रदेश में इतिहास का नया युग प्रारंभ हुआ। पेशवा बाजीराव ने उत्तर भारत की विजय योजना का प्रारंभ किया। विंध्यप्रदेश में चंपत राय ने औरंगजेब की प्रतिक्रियावादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया था। चंपतराय के पुत्र छत्रसाल ने इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने विंध्यप्रदेश तथा उत्तरी मध्यभारत के कई क्षेत्र व महाकौशल के सागर आदि जीत लिए थे। मुगल सूबेदार बंगश से टक्कर होने पर उन्होंने पेशवा बाजीराव को सहायतार्थ बुलाया व फिर दोनों ने मिलकर बंगश को पराजित किया। इस युद्ध में बंगश को स्त्री का वेष धारण कर भागना पड़ा था। इसके बाद छत्रसाल ने पेशवा बाजीराव को अपना तृतीय पुत्र मानकर सागर, दमोह, जबलपुर, धामोनी, शाहगढ़, खिमलासा और गुना, ग्वालियर के क्षेत्र प्रदान किए। पेशवा ने सागर, दमोह में गोविंद खेर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया। 

मध्यप्रदेश सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी Madhya Pradesh Objective Question Answer Click NOW

उसने बालाजी गोविंद का अपना कार्यकारी बनाया। जबलपुर में बीसा जी गोविंद की नियुक्ति की गई। गढ़ा मंडला में गोंड राजा नरहरि शाह का राज्य था। मरोठों के साथ संघर्ष में आबा साहब मोरो व बापूजी नारायण ने उसे हराया। कालांतर में पेशवा ने रघुजी भोसले को इधर का क्षेत्र दे दिया। भोसले का पास पहले से नागपुर का क्षेत्र था। यह व्यवस्था अधिक समय तक नहीं टिक सकी। अंग्रेज सारे देश में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगे हुए थें। मराठों के आंतरिक कलह से उन्हें हस्तक्षेप का अवसर मिला। 

सन् 1818 में पेशवा को हराकर उनहोंने जबलपुर-सागर क्षेत्र रघुजी भोसले से छीन लिया। सन् 1817 में लार्ड हेस्टिंग्स ने नागपुर के उत्तराधिकार के मामले में हस्तक्षेप किया और अप्पा साहब को हराकर नागपुर एवं नर्मदा के उत्तर का सारा क्षेत्र मराठों से छीन लिया। उनके द्वारा इसमें निजाम का बरार क्षेत्र भी शामिल किया गया। सहायक संधि के बहाने बरार को वे पहले ही हथिया चुके थे। इस प्रकार अंग्रेजों ने मध्यप्रांत व बरार को मिला-जुला प्रांत बनाया। 

महाराज छत्रसाल की मृत्यु के बाद विंध्यप्रदेश, पन्ना, रीवा, बिजावर, जयगढ़, नागौद आदि छोटी-छोटी रियासतों में बंट गया। अंग्रेजों ने उन्हों कमजोर करने के लिए आपस में लड़ाया और संधियाँ की। अलग-अलग संधियों के माध्यम से इन रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य के संरक्षण में ले लिया गया। सन् 1722-23 में पेशवा बाजीराव ने मालवा पर हमला कर लूटा था। राजा गिरधर बहादुर नागर उस समय मालवा का सूबेदार था। उसने मराठों के आक्रमण का सामना किया जयपुर नरेश सवाई जयसिंह मराठों के पक्ष में था। पेशवा के भाई चिमनाजी अप्पा ने गिरधर बहादुर और उसके भाई दयाबहादुर के विरूद्ध मालवा में कई अभियान किए। सारंगपुर के युद्ध में मराठों ने गिरधर बहादुर को हराया। मालवा का क्षेत्र उदासी पवार और मल्हारराव होलकर के बीच बंट गया। बुरहानपुर से लेकर ग्वालियर तक का भाग पेशवा ने सरदार सिंधिया को प्रदान किया। इसके साथ ही सिंधिंया ने उज्जैन, मंदसौर तक का क्षेत्र अपने अधीन किया। 

सन् 1731 में अंतिम रूप से मालवा मराठों के तीन प्रमुख सरदारों पवार (धार एवं देवास) होल्कर (पश्चिम निमाड़ से रामपुर-भानपुरा तक ) और सिंधिया (बुहरानपुर, खंडवा, टिमरनी, हरदा, उज्जैन, मंदसौर व ग्वालियर)ʔ के अधीन हो गया। भोपाल पर भी मराठों की नजर थी। हैदराबाद के निजाम ने मराठों को रोकने की योजना बनाई, लेकिन पेशवा बाजीराव ने शीघ्रता की और भोपाल जा पहुंचा तथा सीहोर, होशंगाबाद का क्षेत्र उसने अधीन कर लिया। सन् 1737 में भोपाल के युद्ध में उसने निजाम को हराया। युद्ध के उपरांत दोनों की संधि हुई। निजाम ने नर्मदा-चंबल क्षेत्र के बीच के सारे क्षेत्र पर मराठों का आधिपत्य मान लिया। रायसेन में मराठों ने एक मजबूत किले का निर्माण किया। 

मराठों के प्रभाव के बाद एक अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद खाँ ने भोपाल में स्वतंत्र नवाबी की स्थापना की। बाद में बेगमों का शासन आने पर उन्होंनें अंग्रेजों से संधि की और भोपाल अंग्रेजों के संरक्षण में चला गया। अंग्रजों ने मराठों के साथ पहले, दूसरे, तीसरे, और चौथे युद्ध में क्रमश: पेशवा, होल्कर, सिंधिया और भोसले को परास्त किया। पेशवा बाजीराव द्वितीय के काल में मराठा संघ में फूट पड़ी और अंग्रेजों ने उसका लाभ उठाया। 

अंग्रेजों ने सिंधिया से पूर्वी निमाड़ और हरदा-टिमरनी छीन लिया और मध्यप्रांत में मिला लिया। अंग्रेजों ने होल्कर को भी सीमित कर दिया और मध्यभारत में छोटे-छोटे राजाओं को जो मराठों के अधीनस्थ सामंत थे, राजा मान लिया। मध्यभारत में सेंट्रल इंडिया एजेंसी स्थापित की गई। मालवा कई रियासतों में बट गया। इन रियासतों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु महू, नीमच, आगरा, बैरागढ़ आदि में सैनिक छावनियाँ स्थापित की। 

Leave a Comment