मध्यप्रदेश का संपूर्ण इतिहास सामान्य ज्ञान History of Madhya Pradesh

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भारत के केन्द्र में स्थित मध्यप्रदेश देश का हृदयस्थल कहलाता है। भू-वैज्ञानिक दृष्टि से यह भारत का प्राचीनतम भाग है। हिमालय से भी पुराना यह भूखण्ड किसी समय उस संरचना का हिस्सा था जिसे गोंडवाना महाद्वीप कहा गया है। भारतीय इतिहास का मध्यप्रदेश से बहुत पुराना संबंध है। भारतीय इतिहास का मध्यप्रदेश से इतिहास को निम्नानुसार बांटा जा सकता है। 

  • प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश 
  • पाषाण एवं ताम्रकाल 
  • प्राचीन काल 
  • शुंग और कुषाण 
  • मध्यकाल 
  • मुगल काल 
  • भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और मध्यप्रदेश 

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प्रागैतिहासिक मध्यप्रदेश  प्रदेश के विभिन्न भागों में किए गए उत्खनन और खोजों में प्रागैतिहासिक सभ्यता के चिन्ह मिले हैं। 

आदिम प्रजातियां नदियों के काठे और गिरी-कंदराओं में रहती थी। जंगली पशुओं में सिंह, भैंसे, हाथी और सरी-सृप आदि प्रमुख थे। कुछ स्थानों पर “हिप्पोपोटेमस” के अवशेष मिले हैं। शिकार के लिए ये नुकीले पत्थरों औरहड्डियों के हथियारों का प्रयोग करते थे। मध्यप्रदेश के भोपाल, रायसेन, छनेरा, नेमावर, मोजावाड़ी, महेश्वर, देहगांव, बरखेड़ा, हंडिया, कबरा, सिघनपुर, आदमगढ़, पंचमढ़ी, होशंगाबाद, मंदसौर तथा सागर के अनेक स्थानों पर इनके रहने के प्रमाण मिले हैं। इस काल के मानव ने अपनी कलात्मक अभिरूचियों की भी अभिव्यक्ति की हैं। 

होशंगाबाद के निकट की गुलओं, भोपाल के निकट भीमबैठका की कंदराओं तथा सागर के निकट पहाड़ियों से प्राप्त शैलचित्र इसके प्रमाण हैं। ये शैलचित्र मंदसौर की शिवनी नदी के किनारे की पहाड़ियों, नरसिंहगढ़, रायसेन, आदमगढ़, पन्ना रीवा, रायगढ़ और अंबिकापुर की कंदराओं में भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। कुछ यूरोपीय विद्वानों ने इस राज्य का पूर्व, मध्य एवं सूक्ष्माश्मीय काल ईसा से 4000 वर्ष पूर्व का माना है। दूसरी ओर डॉ. सांकलिया इस सभ्यता को ईसा से 1,50,000 वर्ष पूर्व की मानते हैं। 

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