छत्तीसगढ़ की धूमकुरिया जनजातियां सामान्य ज्ञान Cg Dhumkuria Janjati GK

धूमकुरिया जनजाती से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 2021

 सदस्य धांगर महतो पुरुष मुखिया धनगरिन बर्किन स्त्री मुखिया पूना जोरनवार 13 वर्ष से काम आयु के सदस्य मझथुरिया 13-18 वर्ष के आयु के सदस्य धांगर 18 वर्ष से अधिक आयु के सदस्य  

*   छतीसगढ़ की उरांव जनजाति में मुरियाओं के घोटुल की तरह धूमक्रुरिया युवागृह होता है। इनमें निवास स्थान छोटे होते। अत:गांव में एक अलग मकान बना होता है जिसमें सभी अविवाहित लड़के तथा लड़कियों रहते हैं। इस मकान में नृत्य गायन होता है। यद्यपि सभ्य समाज के सम्पर्क में आने से इस प्रथा का महत्व कम होता जा रहा है। धूमकुरिया की सदस्यता हेतु लड़कों के प्रवेश हेतु आयु 9- 10 वर्ष तक होती है। धूमक्रुरिया के सदस्यों को तीन आयु में रखा जाता है 13 वर्ष से कम आयु के सदस्य पुना जोंरवार, 13-18 वर्ष के मध्य की आयु के सदस्य मजथुरियाँ जोरंवार तथा इससे अधिक के धांगर कहे जाते हैं। 

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व्यवस्था 

*   धुमकुरिया के वरिष्ठ सदस्य मुखिया का चुनाव करते है जिसे धांगर महतो कहते हैं। वह धूमक्रुरिया लड़कों को सामाजिक तथा धार्मिक कर्तव्यों की शिक्षा देता हैं। उससे नीचे कोटवार होता है जो धूमकुरिया लड़कों की उचित देखभाल तथा कार्यों की देखरेख करता है। जतरा तथा नृत्य आदि का उत्तरदायित्व उस पर होता है। उसे लड़कों तथा लड़कियों की पोशाक, सजावट आदि की जाँच करना होता है। उसका कहा न मानने पर धांगर महतो द्वारा सजा दी जाती है। उरांव सभ्यता की जानकारी इस धूमक्रुरिया में ही जाती है। लड़कियों में सबसे वरिष्ठ जो प्राय: विधवा होती है उसे मुखिया बनाया जाता है जिसे ‘बारकी धांगरिन’ कहा जाता हैं। लड़कियाँ भी तीन अति वर्ग की होती हैं ।

 गतिविधियां 

*   रात्रि जब सभी सदस्य धूमक्रुरिया में एकत्र होते हैं, वे गाते और हंसी-विनोद करते हैं तथा समस्याओं का हल खोजते हैं। यहाँ मेहमान के उचित सत्कार की शिक्षा दी जाती है। साथ ही अन्य सामाजिक-आर्थिक कृत्यों का प्रशिक्षण भी। संचित धन का उपयोग वाद्य यंत्रों के खरीदने में अथवा धूमकुरिया के विकास कार्यों में क्रिया जाता है। 

*   धांगर, धान की फसल से पक्षियों को भगाने, बुरी आत्माओं को भगाने हेतु विशेष धार्मिक अनुष्ठान में भी भाग लेते हैं। अन्य गाँवों के धूमकृरिया से सम्पर्क स्थापित कर मैंत्री बढाते हैं। 

*   लड़कियाँ विवाह आदि अवसरों पर चावल बीनने, भोजन पकाने का कार्य तथा चटाइयाँ बुनती हैं। लड़कियाँ, लड़कों के साथ नृत्य करती हैँ। 

*   इनमें विवाह पूर्व लैंगिक सम्बन्धों पर प्रतिबंध नहीं है, किन्तु शिक्षा के प्रसार एवं इस क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों के सुधारवादी कार्यों से इनकी जीवन शैली में परिवर्तनों आया है और इस संस्था का मूल स्वरूप परिवर्तित होने के साथ यह लुप्त हो रहा है। धुमरिया संगठन एवं उनकी गतिविधियों –

*   धुमकुरिया के वरिष्ट सदस्य जिस -का चुनाव करते हैं उसे धांगर महतो कहते है 

*   धांगर महतो धुमकुरिया सदस्यों क्रो स्रामाजिक एवं धार्मिक कर्तव्यों की  शिक्षा देता है । 

*   उरांव सभ्यता की जानकारी इस संगठन में दो जाती है । इस संगठन में नृत्य गायन का भी अभ्यास कराया जाता है । 

*   धांगर महतों के निर्देशन में कोटवार नामक पदाधिकारी सदस्यों की  उचित देखभाल करते हुए उनके कार्यो का भी अवलोकन करता है तथा उनके सजावटी पोशाकों की जांच भी करता है। 

*   धुमकुरिया का मुखिया धांगर-महतों एवं धांगर विशेष धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन गाम सुरक्षा हेतु करवाते हैं एवं ऐसे अनुमानों में विशेष रूप से भाग लेते हैं । 

*   धुमकुरिया के रात्रिकग्रस्तीन कार्यक्रम में नृत्य-संगीत एवं हास्य विनोद के साथ ग्रामीणा समस्याओँ के निराकरण पर प्रयासृ क्ररते हैं । 

*   धुमकुरिया संगठन  में जीवन के विविध अवसरों पर किये जाने वाले विधि-विधान की पूर्ण शिक्षा दी जाती हैं । 

*   धुमकुरिया में लड़कियां भी तीन आयु यहाँ की होती है । लड़कियों लड़के के साथ हैं मिलकर समस्त आयोजनों को सफल बनाते हैं ।

 *   लड़कियों में सर्वाधिक वरिष्ठ जो प्रायः विधवा होती है । उन्हें मुखिया बनाया जाता है जिसे बर्की धांगरिन कहा जाता है ।

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