छत्तीसगढ़ विविध सामान्य ज्ञान : gk of cg state in hindi

छत्तीसगढ़ विविध सामान्य ज्ञान इन हिंदी
1. महाप्रभु वल्लभाचार्य (जन्म : 1479, मृत्यु : 1531) : सम्पूर्ण भारत में करुण भक्ति के आधार पर मानव धर्म के प्रचारक महाप्रभु वल्लभाचार्य का अवतरण इस प्रदेश के चम्पारण्य (रायपुर) में हुआ था, जिनके सम्मान में 1977 में डाक टिकट भी जारी किया गया।
2. संत गुरु घासीदास (जन्म : 1756, मृत्यु : 1850) : इनका जन्म रायपुर जिले के गिरौद ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम महंगू दास था। समाज में व्याप्त पशुबलि
और दूसरी कुप्रथाओं का इन्होंने बचपन से ही विरोध किया। आत्मबोध होने के बाद इन्होंने तपस्या की और दलितों-शोषितों को सतनाम धर्म की शिक्षा दी। इनका जीवनदर्शन और आदर्श मानव समाज की विशेष धरोहर है। इनकी मृत्यु भंडार ग्राम में हुई। इनकी स्मृति में बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।

2.   स्वामी अग्निवेश (जन्म : 21 सितम्बर, 1939) : ‘बंधुआ मुक्ति मोर्चा’ के अध्यक्ष स्वामीजी ने बाल श्रमिक, बंधुआ मजदूरी, शराब बन्दी की समाप्ति तथा आदिवासी हितों के लिए सदा ही आवाज उठाई है। वे हरियाणा राज्य में भी शिक्षा मंत्री रहे हैं, किन्तु अपने गृह क्षेत्र छत्तीसगढ़ से सदा जुड़े रहे हैं। उन्हें अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है।

4. महर्षि महेश योगी (जन्म : 12 जनवरी, 1971; मृत्यु : 6 फरवरी, 2008) : रायपुर के पांडुका में जन्मे महर्षि एक समाज सेवी, शिक्षाविद् तथा आध्यात्मिक गुरु के रूप में मान्य हैं। आपके 500 से अधिक शिक्षण केंद्र लगभग 150 देशों में संचालित हैं। इन्होंने विश्व भ्रमण द्वारा भारतीय आध्यात्म की अलख जगाई। 6 फरवरी, 2008 को नीदरलैंड के एम्सटर्डम में इनकी मृत्यु हो गई।
5. महन्त रामसुन्दर दास राजेश्री (जन्म : 6 जून, 1968) : शिवरी नारायण मठ के महंत श्री राजेश्री एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में मान्य हैं। वे धर्म के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं।
6. डा. अन्नावरपु एस. आर. ए. एस. शास्त्री (जन्म : 20 जुलाई, 1950) : इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिक डा. शास्त्री ने भौतिकी एवं एग्रोमेटरोलॉजी क्षेत्र में विशेष अनुसंधान करके विश्वव्यापी प्रशंसा अर्जित की है। अनेक देशों की यात्रा कर चुके डा. शास्त्री को अनेक बार पुरस्कृत किया गया है।
7. डॉ. श्याम नारायण शुक्ल (जन्म : 9 नवम्बर, 1931) : ‘लीवर भूरिसर्च सेंटर कैलीफोर्निया’ के वैज्ञानिक डा. शुक्ला ने अपने शोध के द्वारा राज्य का नाम रोशन किया है। वे विदेशों में रहकर भी भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। 8. डॉ. सुशोवन राय : पशु चिकित्सा महाविद्यालय अंजोरा (दुर्ग) के प्रोफेसर डॉ. राय को पशु चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु वर्ष 2000 का ‘पेस पुरस्कार’ प्रदान किया गया है।
9.डॉ. सत्य विश्वास : रायपुर के विख्यात तान्त्रिक ज्योतिषी डॉ. विश्वास को उनके ज्योतिष तथा समाज-सेवा में विशिष्ट योगदान हेतु 37वाँ प्रमोद चन्द्र बोडवा पुरस्कार प्रदान किया गया।
10, पी. आर. खूटे : सारंगगढ़ के सांसद खूटे को अमेरिकन बायोग्राफिक्स इन्स्टीच्यूट द्वारा समाज सेवा में उल्लेखनीय कार्य हेतु ‘मैन ऑफ द इयर-2001’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
11. सत्येन्द्र प्रसाद सिंह : पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सांख्यिकी अध्ययनशाला के वरिष्ठ शोधार्थी सत्येन्द्र प्रसाद को अन्तर्राष्ट्रीय भौतिक विज्ञान अकादमी द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।
12. डा. प्रदीप कुमार चौबे : बिलासपुर में जन्मे डॉ. चौबे को न्यून्तम चीर-फाड़ से शल्य-चिकित्सा करने में महारत हासिल है। ‘मिनिमल इनवेसिव सर्जरी’ की इस विद्या से उन्होंने 1992-99 के दौरान 10 हजार शल्य-चिकित्सा कर ‘लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना स्थान बनाया था। वर्ष 2002 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
13. डॉ. अरुण त्र्यम्बक दाबके : राज्य के सुप्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण त्र्यम्बक दाबके को वर्ष 2003 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। वे छत्तीसगढ़ में चिकित्सा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान पाने वाले प्रथम चिकित्सक हैं।
14. प्रेमबाई मंडावी : प्रधानमंत्री ने 21 फरवरी, 2004 को राज्य के जिला पंचायत राजनांदगांव की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमबाई मंडावी को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का सदस्य मनोनीत किया।
15. रोजलीन बेकमेन : जशपुर क्षेत्र की शिक्षिका रोजलीन बेकमेन को एंग्लो-इण्डियन समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में छत्तीसगढ़ विधान सभा का सदस्य नियुक्त किया गया है। विधान सभाध्यक्ष प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने 3 दिसम्बर, 2004 को उन्हें सदस्य के रूप में शपथ दिलाई। इससे पहले कांग्रेस शासन में इंग्रिड मैक्लिओड छत्तीसगढ़ विधान सभा में एंग्लो-इण्डियन समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त थीं।
16. मंगत रवीन्द्र : छत्तीसगढ़ी व्याकरण के रचनाकार मंगत रवीन्द्र को साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने 10 जून, 2004 को ‘भाषा सम्मान’ से सम्मानित किया।
 

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