ब्रिटिश मराठा शासन के दौरान किए गए प्रशासनिक परिवर्तन CG GK

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CG ब्रिटिश संरक्षणाधीन मराठा शासन के दौरान किए गए प्रशासनिक परिवर्तन

1. अंग्रेजों ने परगने का सर्वोच्च अधिकारी का नाम कमाविसदार ही रहने दिया पर अब उसे नकद वेतन दिया जाने लगा।
2. अंग्रेजों ने परगनों में ‘अमीन’ या ‘पेशकार’ नामक एक नये अधिकारी की नियुक्ति की। इसे कमाविसदार से स्वतंत्र रखा गया ताकि कमाविसदार द्वारा रखे जाने वाले राजस्व संबंधी हिसाब पर नियंत्रण रखा जा सके।
3. इसके अलावे अंग्रेजों ने प्रति 20-30 गाँवों के लिए ‘पण्डया’ नामक एक अतिरिक्त किन्तु नये कर्मचारी की नियुक्ति की । यह एक अस्थायी राजस्व कर्मचारी होता था। जिसकी नियुक्ति अमीन के साथ विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए की जाती थी। कार्य की समाप्ति पर इस पद को समाप्त कर दिया जाता था।
4. गोटिया (गाँव का प्रमुख) का पद पूर्ववत् बना रहा।
5. मराठा काल में प्रचलित पटेल के पद को समाप्त कर दिया गया। वाणी
6. कर अदायगी का कार्य अब रुपयों के माध्यम से किया जाने लगा।
7. एगन्यू ने मुद्रा में एकरूपता और नाप-तौल की उचित व्यवस्था के लिए कदम
उठाये।
8. लगान वसूली की मराठाकालीन पूर्व निर्धारित तिथियों में किसानों की सुविधानुसार अनुकूल परिवर्तन किए गए।
9. भूमिकर उपज का 1/4 से 1/3 भाग तक होता था।
10. भूमि को 6 वर्गों में वर्गीकृत किया गया—काली जमीन, डोरसा, भर्टी-भाठा,
डीह, कछार एवं पथरीली जमीन।
11. बेकार पड़ी भूमि को जोत के अंतर्गत लाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
12. राजस्व विभाग के अधिकारी : कमाविसदार (परगने का प्रमुख राजस्व अधिकारी), अमीन (परगने का राजस्व संबंधी हिसाब रखनेवाला), फड़नवीस (परगने से होने वाले आय-व्यय का विवरण रखनेवाला), बरारपाण्डे (प्रत्येक गांव का दौरा कर लगान रजिस्टर तैयार करनेवाला), पोतदार (अधीक्षक के खजाने में जमा की जानेवाली राशि का हिसाब रखनेवाला), पण्डरीपाण्डे (गांवों में मादक द्रव्यों से होनेवाली आमदनी का हिसाब रखनेवाला), पण्डया (अस्थायी राजस्व कर्मचारी जिसकी नियुक्ति अमीन के कार्यों में सहयोग देने के लिए की जाती थी), माल चपरासी (राजस्व संबंधी कार्यों में मदद करने वाला)।
13. गैर-भूमिकर : सायर (आयात-निर्यात कर), कलाली (मादक द्रव्यों पर लगनेवाला कर), सेवाई (छोटे-छोटे अस्थायी करों का सामूहिक नाम), पण्डरी (गैर-किसानों जैसे बढ़ई, कुम्हार, नाई आदि पर लगनेवाला कर), ओवरी (जमींदारों से प्राप्त होनेवाला कर)।
14. वर्ष 1819-20 ई० में छत्तीसगढ़ में अकाल पड़े।
15. अंग्रेजों ने छत्तीसगढ़ के लिए एक प्रादेशिक सेना का गठन किया। कैप्टेन माक्सन छत्तीसगढ़ की प्रादेशिक सेना के पहले कमाण्डर थे।
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