छत्तीसगढ़ की जलवायु सामान्य ज्ञान (CGPSC & VYAPAM GK)

छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान Cg Mcq Question Answer in Hindi: Click Now

छत्तीसगढ़ भारत के मध्यवर्ती भाग में अवस्थित है। कर्क रेखा प्रदेश के मध्य से होकर गुजरती है। अतः यह उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु वाला प्रदेश है। यहाँ की जलवायु मुख्यतः उष्णार्द्र या अधोआर्द्र प्रकार की है। कर्क रेखा के प्रदेश के मध्य से गुजरने के कारण यहाँ ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म एवं शीत ऋतु अधिक ढंडी होती है। प्रदेश में मार्च से जून तक तापमान तीव्रता से बढ़ता है, तत्पश्चात तापमान में कमी आता है।
राज्य में सबसे अधिक तापमान मई माह में लगभग 40° सेन्टीग्रेड होता है, जबकि सबसे कम तापमान दिसम्बर माह में लगभग 16° सेन्टीग्रेड हाता है। मई का महीना सर्वाधिक गर्म और दिसम्बर-जनवरी का महीना सर्वाधिक ठंडा होता है। प्रदेश के सभी भागों में दैनिक तापान्तर मार्च में सबसे अधिक मिलता है, क्योंकि इस समय आकाश स्वच्छ रहता है। प्रदेश में सबसे अधिक तापमान रायपुर जिले में तथा सबसे कम तापमान सरगुजा जिले में होता है। चांपा राज्य का सबसे गर्म तथा अम्बिकापुर सबसे ठंढी जगह है।
छत्तीसगढ़ में वर्षा की प्रकृति मानसूनी है। यहाँ पर अधिकांश वर्षा बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाली मानसूनी हवाओं के कारण होता है। राज्य में सबसे अधिक वर्षा नारायणपुर के अबुझमाड़ क्षेत्र में होता है। यहाँ पर वार्षिक वर्षा का औसत 187.5 से.मी. है।
राज्य में अधिकांश वर्षा जून से सितम्बर के मध्य होती है। वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है। दक्षिणी बस्तर एवं दन्तेवाड़ा के पूर्वी भाग से 160 सेमी. की समवर्षा रेखा गुजरती है। उत्तर-पूर्वी छत्तीसगढ़ के जिलों में वर्षा का औसत अधिक पाया जाता है। राज्य में मानसून का आवागमन सर्वप्रथम बस्तर में होता है, इस कारण वहाँ 171 दिनों तक नमी बनी रहती है। यता
ऋतुएँ : छत्तीसगढ़ को प्रदेश की मौसमी परिवर्तनों के आधार पर मुख्यतः तीन ऋतुओं में विभाजित किया जा सकता है।
ये हैं- 1. ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) 2. वर्षा ऋतु (Rainy Season) तथा 3. शीत ऋतु (Winter Season)।
1. ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) : छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतु की अवधि मध्य मार्च से मध्य जून तक रहती है। 21 मार्च के बाद सूर्य के उत्तरायण हो जाने के कारण भूगोल उत्तरोत्तर गर्मी बढती जाती है। अप्रैल एवं मई माह में पूर्णतः ग्रीष्म ऋतु की दशाएँ दिखाई देने लगती हैं। मई में जब सूर्य की किरणें पर्याप्त सीधी हो जाती हैं तो वायुदाब गिरता है। इस समय 1002 मिलीबार की समदाब रेखा बस्तर से होती हुई गुजरती है। 42.5° सेण्टीग्रेड की समतापमान रेखा दुर्ग से होकर गुजरती है। 40° सेण्टीग्रेड की समताप रेखा पूर्वी बस्तर, उत्तरी बिलासपुर आदि से होकर गुजरती है। सरगुजा एवं जशपुर से होकर 37° सेण्टीग्रेड की समताप रेखा गुजरती है।
2. वर्षा ऋतु (Rainy Season) : राज्य में ग्रीष्म ऋतु के पश्चात वर्षा ऋतु का आगमन होता है। राज्य में वर्षा ऋतु की अवधि मध्य जून से मध्य सितम्बर तक रहती है। कृषि का मुख्य आधार होने के कारण राज्य में वर्षा ऋतु का सर्वाधिक महत्व है। इस ऋतु में राज्य के सभी भागों में मानसूनी हवाएँ सक्रिय रहती हैं। प्रदेश में वर्षा 15 जून से मानसून आगमन से प्रारंभ होता है।
राज्य की औसत वार्षिक वर्षा जून से सितम्बर के बीच 1312.8 मिमी होती है। छत्तीसगढ़ मैदान के उत्तरी भाग में सर्वाधिक वर्षा होती है। अबूझमाड़ की पहाड़ियों में अधिक वर्षा होती है। राजनांदगाँव जिले के पश्चिम में स्थित मैकाल श्रेणी का पूर्वी भाग वृष्टि छाया वाला क्षेत्र है। दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग में वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। अम्बिकापुर में अगस्त की वर्षा 20 सेमी से अधिक होती है। वर्षा ऋतु की कुल अवधि में बस्तर, बिलासपुर एवं अम्बिकापुर में 127 सेमी से अधिक वर्षा होती है।
जशपुर-सामरी पाट प्रदेश में मानसून की अरब सागर वाली शाखा से वर्षा होती है। सितम्बर के अंतिम दिनों में मानसूनी हवाओं का वेग कम हो जाता है तथा स्वच्छ आकाश का समय बढ़ने लगता है। साथ ही वर्षा की मात्रा भी घटती जाती है। अक्टूबर में औसत वर्षा कम हो जाती है तथा तापमान में वृद्धि होती है। मा
3. शीत ऋतु (Winter Season) : छत्तीसगढ़ में शीत ऋतु की अवधि नवम्बर से फरवरी तक रहती है। इस ऋतु में सूर्य दक्षिणायन होता है। कम तापमान, धीमी गति से से बहने वाली उत्तरी हवाएँ, स्वच्छ आकाश तथा आर्द्रता में कमी यहाँ की शीत काल की सामान्य विशेषताएँ हैं। इस ऋतु में यहाँ सापेक्षिक आर्द्रता 50 से 70 प्रतिशत के मध्य रहती है। शीत ऋतु में महाद्वीपीय पवनों का प्रभाव रहता है।
राज्य में न्यूनतम तापमान दिसम्बर एवं जनवरी माह में रहता है। राज्य में सबसे अधिक ठंड जशपुर पाट प्रदेश में पड़ती है। न्यूनतम तापमान जनवरी में 12.5° सेण्टीग्रेड तक पहुँच जाता है। मैदानी भाग में औसत तापमान 20° सेण्टीग्रेड तथा पहाड़ी भगों में 14.5° सेण्टीग्रेड रहता है। जनवरी में बिलासपुर, रायगढ़, दक्षिणी रायपुर एवं पूर्वी बस्तर में तापमान 18° सेण्टीग्रेड से 21° सेण्टीग्रेड के बीच रहता है ।
शीत काल में तापमान में कमी होती जाती है जिस कारण राज्य में उच्च वायुदाब की स्थिति होती है। वायु की दिशा पूर्व, दक्षिण पूर्व और दक्षिण की ओर रहती है। इस समय मन्द गति से पवन चलती है। शीतलहर भी चलती है। इस ऋतु में स्थलीय शुष्क प्रतिचक्रवात प्रभावों के कारण मेघाच्छादन की मात्रा नगण्य रहती है। शीत ऋतु की कुल अवधि में मात्र 60 मिमी वर्षा होती है, जो राज्य की औसत वार्षिक वर्षा का 4.3% हैं। रात्री का तापमान गिरने से पहाड़ी, पठारी भागों में पाला एवं कोहरा पड़ता है। राज्य में पश्चिमी विक्षोभों द्वारा कम मात्रा में वर्षा होती है।

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