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छत्तीसगढ़ का सातवाहन काल | CG HISTORY | CGPSC gk

History Of Chhattisgarh In Hindi  सातवाहन काल छत्तीसगढ़ का इतिहास

मौर्य साम्राज्य के पतन के पश्चात् दक्षिण भारत में सातवाहन राज्य की स्थापना না हुई। दक्षिण कोशल का अधिकांश क्षेत्र सातवाहनों के प्रभाव-क्षेत्र के अधीन था।चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने अपने यात्रा विवरण ‘सी-यू-की’ में दक्षिण कोशल में सातवाहनों के राज्य का उल्लेख किया है। उसके अनुसार दक्षिण कोशल की राजधानी के निकट एक पर्वत पर सातवाहन राजा ने एक सुरंग खुदवाकर प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक के लिए एक पाँचमंजिला भव्य संघाराम बनवाया ।

ह्वेनत्सांग के कथन की पुष्टि ऋष्यतीर्थ (सक्ती के निकट, बिलासपुर जिला) से प्राप्त शिलालेख से भी होती है, जिसमें सातवाहन राजा कुमार वरदत्त का उल्लेख है।

सातवाहन नरेश अपीलक की एकमात्र मुद्रा रायगढ़ जिले के बालपुर के निकट महानदी से प्राप्त हुई है। अपीलक के मुद्रा की प्राप्ति से इस काल में यहाँ तत्कालीन सातवाहन के अधिकार की पुष्टि होती है।

सातवाहन काल में भारत का व्यापार रोम से होता था । रोम के सोने के सिक्के बिलासपुर और चकरबेढ़ा से प्राप्त हुए हैं। इससे सिद्ध होता है कि उन दिनों बिलासपुर काफी समृद्ध था।

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