मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
वर्ष 2020 से
· अन्य नाम : हरिक नानी बेरा अभियान – 2019
· शुरुआत : 02 अक्टूबर 2019 (महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के दिन)
· दिनांक 24 जून 2019 को आदिवासी बाहुल्य दंतेवाड़ा जिले में सुपोषित दंतेवाड़ा अभियान प्रारंभ किया गया था।
· अभियान की सफलता को देखते हुये प्रदेश के अन्य जिलों में भी गांधीजी के 150 वीं जयंती के अवसर पर 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है।
· इस योजना को हरिक नानी बेरा अभियान-2019 के पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 2 अक्तूबर 2019 को विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चो के लिए ही शुरू किया गया ।
· योजना की शुरुआत बस्तर जिले में महिलाओं और बच्चों को मूंगफली और गुड़ से बने लड्डू देकर की गयी है।
· प्रमुख उद्देश्य : 06 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 वर्ष आयु के महिलाओ को एनीमिया से मुक्त करना ।
प्रमुख प्रावधान :
· अभियान अंतर्गत प्रदेश के लगभग 1-85 लाख हितग्राहियों को गर्म भोजन एवं 3-53 लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में अण्डा, चिकी, लड्डू, मूंगफली, दलिया आदि प्रदान किया जा रहा है।
· इसके अलावा राज्य सरकार 2 किलो गुड़ हर महीने मुफ्त में उपलब्ध कराएगी।
· इसके तहत एनीमिया प्रभावितों को आयरन, फोलिक एसिड, कृमि नाशक गोलियां दी जाती हैं।
अन्य महत्वपूर्ण जानकरियाँ –
Ø वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान कि शुरुआत में प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हज़ार थी।
Ø कुपोषित बच्चों की संख्या में अब तक 48 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी हैं।
Ø मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान योजना के तहत नियमित गरम भोजन और पौष्टिक आहार मिलने से प्रदेश की लगभग 85 हज़ार महिलाएँ भी एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं।
एक नजर महत्वपूर्ण सरकारी अकड़ों पर…
Ø राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के के अनुसार (रिपोर्ट जारी 2020-21 में) :- रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष तक बच्चों के वज़न के आँकड़े देखें तो कुपोषण की दर 4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है। यह दर कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है।
Ø वज़न त्यौहार के आँकड़े के अनुसार :- वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ में कुपोषण 37 प्रतिशत था, जो वर्ष 2021 में घटकर मात्र 19.86 प्रतिशत रह गया है। इस प्रकार कुपोषण की दर में दो वर्षों में 3.51 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
Ø उल्लेखनीय जुलाई 2021 में आयोजित वज़न त्यौहार में लगभग 22 लाख बच्चों का वज़न लिया गया था। इस दौरान पारदर्शी तरीके से कुपोषण के स्तर का आकलन किया गया। इसी तरह वर्ष 2022 में भी एक अगस्त से 13 अगस्त तक प्रदेश में वज़न त्यौहार मनाया गया।