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छत्तीसगढ़ की प्रमुख जमीदारियां सामान्य ज्ञान | CGPSC

Chhattisgarh History | CG ki Jamindar GK

1. पानाबरस

पानाबरस छत्तीसगढ़ की प्रमुख जमींदारियों में से एक रही जिसका संस्थापक एक वीर योद्धा या सैनिक को माना गया जिसनें चांदा के शासक को सैन्य सहायता उपलब्ध कराई थी। उस सहायता के बदले उसे यह जमींदारी प्राप्त हुई थी।

2. अम्बागढ़

अम्बागढ़ जमींदारी में गोंड वंश के जमींदारों का प्रभाव था। मंडला शासक के रिश्तेदारों द्वारा इसकी स्थापना की गई थी।

3. सोनाखान

इस जमींदारी के जमींदार बिंझवार जाति के थे। रतनपुर के कलचुरी शासक बाहरेन्द्र साय के समय इस जमींदारी की स्थापना की गई, जिसने पिसई बिंझवार को उसके शौर्य के कारण यह क्षेत्र प्रदान कियागया। इस जमींदारी के जमींदारों ने अंग्रेजों के जनविरोधी नीतियों का विरोध किया। रामराय, वीर नारायण सिंह के द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया गया था।

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4. बिलाईगढ़

14 ग्रामों की इस जमींदारी में गोड़ जाति के शासकों का शासन था। रतनपुर के कलचुरी शासकों द्वारा यह क्षेत्र तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए मांझी नामक व्यक्ति को दिया गया था। कालान्तर में यह जमींदारी दो भागों में बंट गयी। प्रतियोगिता सारांश…Histo

5. कटंगी

कटंगी जमींदारी के शासकों ने 1857 की क्रांति के समय राष्ट्र द्रोह | करते हुए वीर नारायण सिंह के विरूद्ध अंग्रेजों को सैनिक सहायता व रसद आपूर्ति की थी। तथा अंग्रेजों का प्रत्यक्ष रूप से साथ दिया था।

6. देवरी

यह प्राचीन जमींदारी क्षेत्र था जहां बिंझवार जाति के शासक थे। देवरी व सोनाखान जमींदारी में पारिवारिक संबंध थे, परंतु वा नारायण सिंह द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किए जाने पर देवरी के जमींदार ने वीर नारायण सिंह के विरूद्ध अंग्रेजों की सहायता की थी।

7. फिंगेश्वर

इस क्षेत्र में गोड़ जाति के जमींदार थे। रतनपुर के कलचुरी शासकों के समय की जमींदारियों की सूची में इस जमींदारी का भी उल्लेख मिलता है।

8. गुंडरदेही

यह छत्तीसगढ़ क्षेत्र की प्राचीन जमींदारी थी जहां कंवर जाति के शासक थे। इस जमींदारी की स्थापना भी कलचुरी शासकों द्वारा की गई | थी। माखन सिंह, भीष्म सिंह आदि प्रमुख जमींदारी थे।

9.भटगांव

यह जमींदारी बिंझवार जाति के शासकों द्वारा संचालित थी जिसके प्रमुख शासकों में गोपाल राय, यादव राव, गजराज सिंह, चंदन सिंह आदि थे।

10.परपोंड़ी

परगोड़ी के शासक गोंड शासकों के वंशज थे। 18वीं शताब्दी के आरंभमें परपोड़ी के जमींदार ने मराठा शासन के विरूद्ध विद्रोह किया थाजिसे मराठों ने समाप्त करते हुए एक राजपूत जमींदारी को यहां की जमींदारी सौंपी।

11. पंडरिया

पंडरिया जमींदारी के कवर्धा रियासत के साथ पारिवारिक संबंध थे।

12, ठाकुरटोला

यह खैरागढ़ क्षेत्र में एक प्राचीन जमींदारी थी व इनका संबंध गोंड शासकों के साथ था।

13. पेंड्रा

इस जमींदारी की स्थापना रतनपुर के कलचुरी शासकों द्वारा की गयी।कलचुरि शासक ने हिंदू सिंह व छिंदू सिंह को उनके ईमानदारी के पुरस्कार स्वरूप प्रदान की थी।

14.लाफा

लाफा एक प्रसिद्ध जमींदारी क्षेत्र था। इस क्षेत्र से पौराणिक व ऐतिहासिक स्थापत्य के प्रमाण मिलें हैं, जिनमें पाली का शिवमंदिर, लाफागढ़ का किला, चैतुरगढ़ आदि प्रमुख है। पूर्व कलचुरि राजधानी तुम्माण भी इसी क्षेत्र में स्थित है। यहां के जमींदार की पदवी दीवान कहलाती थी।

15. कोरबा

अंग्रेज बंदोबस्त अधिकारी चिशम की रिपोर्ट के अनुसार रतनपुर केशासक बारहेन्द्र साय सरगुजा नरेश के अधिकार से यह क्षेत्र शक्ति | पूर्वक प्राप्त किया।

16. छुरी

यह जमींदारी कंवर जाति के शासकों द्वारा संचालित थी। यह भी एक प्राचीन जमींदारी थी।

17. उपरोड़ा

यह एक प्राचीन जमींदारी थी व मराठा शासन के समय यहां अजमेर सिंह व शिवसिंह नामक दो प्रमुख शासक थे।

18. बरबसुर

इस जमींदारी क्षेत्र में प्रमुख पद ठाकुर कहलाता था।

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