head सम्बलपुर के सुरेन्द्र साय का विद्रोही CGPSC & VYAPAM GK HINDI
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सम्बलपुर के सुरेन्द्र साय का विद्रोही CGPSC & VYAPAM GK HINDI

इसी समय सुरेन्द्र साय अंग्रेजों से लोहा लेते हुए रायपुर जिले तक आ पहुँचे । गोविन्द सिंह ने उसके सहयोग से देवरी के जमींदार पर आक्रमण कर दिया। गोविन्द सिंह ने तलवार की धार से देवरी के जमींदार महाराज साय के शरीर के दो टुकड़े कर दिए। इस प्रकार उसके विश्वासघात का बदला लिया गया।
इसके पश्चात् गोविन्द सिंह, सुरेन्द्र साय के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए निकल पड़े। उन दोनों ने मिलकर रायपुर से बस्तर की सीमा तक अंग्रेजों की नींद हराम कर दी।
अंग्रेजों ने उन दोनों की गिरफ्तारी के लिए इनामों की घोषणा की। 23 जनवरी, 1864 ई० को सुरेन्द्र साय अचानक घिर गए। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सुरेन्द्र साय और उनके साथियों को असीरगढ़ के किले में कैद कर दिया गया। वहाँ उन्हें मृत्युपर्यंत यातनाएँ दी जाती रहीं। गोविन्द सिंह ने शायद बाद में अंग्रेजों से संधि कर ली क्योंकि अब विद्रोह की आग शांत हो चुकी थी
सुरेन्द्र साय अंधे हो चुके थे। 28 फरवरी, 1884 ई० को असीरगढ़ के किले में सुरेन्द साय की स्वाभाविक मृत्यु हो गई।

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