छत्तीसगढ़ की बोलियाँ सामान्य ज्ञान Chhattisgarhi Language GK

छत्तीसगढ़ की बोलियाँ (भाषाएँ) सामान्य ज्ञान Chhattisgarhi Language GK

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 छत्तीसगढ़ राज्य की बोली को ‘छत्तीसगढ़ी’ कहा जाता है। यह हिन्दी का ही एक रूप अथवा अपभ्रंश है। इस बोली की लिपि ‘देवनागरी’ है। राज्य के रायपुर, रायगढ़, सरगुजा, राजनांदगांव, दुर्ग तथा बस्तर जिले के अधिकतर भागों में छत्तीसगढ़ी बोली जाती है। यही बोली यहां के बहुसंख्यक लोगों की बोली है। राज्य में कुछ अन्य बोलियाँ भी बोली जाती हैं, जिसमें मूलिया, लरिया, किंमुवारी, सरगुजिया, खलताही, भतरी, हल्वी, आदि प्रमुख हैं।

ये सारी बोलियाँ राज्य के अंदर बोली जाती है। जॉर्ज ग्रियर्सन के अनुसार छत्तीसगढ़ी बोली अर्द्धमागधी से पैदा हुई है। यह पूर्वी हिन्दी भाषा परिवार की ही एक बोली है, जो आर्यों के माध्यम से मण्डला पहुंच गई। हैहय राजाओं के सानिध्य में यह भाषा दक्षिणी कोशल पहुँच गई । इस अंचल में आकर इस बोली ने यहाँ के स्थानीय तत्वों से घुल-मिलकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर ली। आगे चलकर यही बोली ‘छत्तीसगढ़ी बोली’ के रूप में छत्तीसगढ़ में स्थापित हुई।
 छत्तीसगढ़ी बोली जाने वाले क्षेत्र के पूर्वी भाग में ‘लहरिया’ बोली जाती है जिसके ऊपर उड़िया भाषा का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। छत्तीसगढ़ी बोले जाने वाले क्षेत्र के पश्चिमी भाग में ‘खलताही’ बोली जाती है जिसके ऊपर मराठी भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है।

सरगुजा में ‘सदरी’ बोली जाती है, जो छत्तीसगढ़ी का ही एक रूप है। बस्तर जिले में बोली जाने वाली हल्वी एवं भतरी बोलियाँ हालाँकि मराठी एवं उड़िया बोलियों के योग से विकसित हुई है लेकिन लम्बे समय तक सामाजिक सम्पर्क के कारण छत्तीसगढ़ी के बहुत से शब्द लुप्त हो गए हैं।
 

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